सोसाइटी को पाल्यूशन फ्री बनाने का संदेश देना है डीजे-आई नेक्स्ट बाइकाथन का मकसद

ALLAHABAD: फन-फिटनेस और जोश के काम्बो पैक बाइकाथन सिर्फ एक इवेंट नहीं बल्कि इसके जरिए समाज को एक बड़ा संदेश भी देना है। संदेश है सोसाइटी को पाल्यूशन फ्री बनाने में हम अपनी भूमिका क्या निभा सकते हैं। इसीलिए आज इस इवेंट के इस महत्वपूर्ण पार्ट की चर्चा हम कर रहे हैं।

तेल नहीं तो धुआं भी नहीं

शहर का पाल्यूशन बढ़ाने में धुआं और आवाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वाहनों में कोई न कोई फ्यूल इस्तेमाल होता है। इससे धुआं निकलता है और यह हमारी हवा में घुलकर इसे प्रदूषित करता है। इसकी प्रकार वाहनों में प्रेशर हार्न या नार्मल हार्न का इस्तेमाल होता है। यह ध्वनि प्रदूषण का कारण बनता है। साइकिल इन दोनों प्राब्लम्स का साल्यूशन है। इसमें कोई फ्यूल इस्तेमाल नहीं होता तो धुआं नहीं निकलता और इसकी घंटी की आवाज कानो को सुहाती है तो इससे ध्वनि प्रदूषण का कोई खतरा नहीं होता। फॉच्र्युन रिफाइंड सोयाबीन ऑयल की प्रस्तुति दैनिक जागरण आई नेक्स्ट बाइकाथन सीजन-9 से जुड़कर आपभी यह संदेश पब्लिक को दे सकते हैं।

29 अक्टूबर को होगा आयोजन

बाइकाथन सीजन नौ का आयोजन इस बार 29 अक्टूबर को किया जा रहा रहा है। इसका हिस्सा बनने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन फॉर्म 100 रुपए पे करके शहर में बने काउंटर्स या दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ऑफिस से कराया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक टीशर्ट, एक कैप और पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट फ्री दिया जाएगा। इसके अलावा भी उनके पास लकी ड्रा के जरिए ढेरों पुरस्कार जीतने का मौका होगा। तो आप भी देर न करें और रजिस्ट्रेशन कराकर अपनी भागीदारी पक्की करावें।

city speak

आदत में शामिल करें साइकिलिंग

मैं तो पर्यावरण पर ही काम कर रहा हूं तो पता है कि सिटी में पाल्यूशन का लेवल किस तरह से खतरे की तरफ बढ़ रहा है। जाम में फंसने पर लोग खासते नजर आते हैं। आखों में जलन सी महसूस होने लगती है। सिर भारी हो जाता है। इसके बाद भी शहर में वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पॉल्यूशन दरअसल अभी हमारी गंभीर चिंता का विषय ही नहीं है। इसी के चलते ऐसा हो रहा है। इसे हम सब को मिलकर रोकना होगा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का यह प्रयाद बेहतरीन है। इसकी जितनी भी सराहना की जाय कम है। साइकिल चलाना मुझे भी बेहद अच्छा लगता है। बेहद जरूरी न हो तो मैं खुद भी साइकिलिंग को प्रिफर करता हूं। आज के दौर की सबसे बड़ी प्राब्लम ही यही है कि सबके पास टाइम नहीं है। स्थिति यह है कि सामने सिग्नल रेड होता है। पब्लिक को पता होता है कि सिग्नल कम से कम डेढ़ मिनट बाद ग्रीन होगा। इसके बाद भी लोग अपने वाहन को स्टार्ट ही रखते हैं। इससे वह पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं खुद की जेब पर खर्च भी बढ़ा रहे हैं। यह अनजाने में हो रहा है। लेकिन, अब इसे लेकर गंभीरता से सोचने का समय शुरू हो चुका है। इसे अनदेखा करने का मतलब है अपने आने वाली पीढ़ी के लिए दुश्वारियां बढ़ाना। सरकार को विशेष नियम बनाकर प्रत्येक कर्मचारी के लिए सप्ताह में एक दिन साइकिल से आफिस आने को अनिवार्य करना चाहिए। मैं तो कहता हूं कि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को यह प्रोग्राम साल में कई बार करना चाहिए ताकि लोगों के जेहन में इसकी यादें रहें और वो साइकिल चलाने के लिए प्रेरित हों।

मनोज श्रीवास्तव

डायरेक्टर ग्लोबल ग्रीन्स