पिता की गरीबी से मिला हौसला

ये हैं माटी के लाल। नाम है बृजेश कुमार कुशवाहा। वह जिले के दानपुर करमा गांव का रहने वाला है। पिता बैजूलाल कुशवाहा खेती करते हैं और मां हाउस वाइफ हैं। घर की फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी नहीं थी लेकिन हौसला सातवें आसमान पर था। इसी हौसले की बदौलत बृजेश ने आज वह सफलता हासिल की है जिप पर इनके पिता को नाज है। बृजेश ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट)-2013 में ऑल इंडिया 746वीं रैंक हासिल की है। उसकी ओबीसी रैंक 176 है। नीट देश के टॉप मेडिकल कॉलेजेस में एमबीबीएस में एडमिशन के लिए सबसे कठिन टेस्ट होता है। इस रैंक का मतलब है कि बृजेश को उसकी मनपसंद कॉलेज में एडमिशन मिलना तय है। बृजेश ने बताया कि पढ़ाई के लिए घंटे तय नहीं किए जा सकते। बृजेश एमबीबीएस के बाद एमडी और पीएचडी करना चाहता है। बृजेश ने बताया कि कैंसर का इलाज महंगा होने के कारण अक्सर लोग इसका शिकार बन जाते हैं। इसलिए मैं साइंटिस्ट बनकर कैंसर का सस्ता इलाज खोजूंगा।

किसान का बेटा बनाएगा कैंसर की सस्‍ती दवा

रिफत समझती हैं महिलाओं का दर्द

ये हैं रिफत सिद्दीकी। पिता अरशद सिद्दीकी रेलवे में क्लर्क हैं। रिफत की नीट में ऑल इंडिया रैंक 5433 है। रिफत लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना चाहती हैं। रिफत एमबीबीएस और एमडी करके महिला रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हैं। रिफत ने बताया कि आज बहुत सी महिलाएं गरीबी के कारण इलाज नहीं करवा पाती हैं। इससे उनकी मौत भी हो जाती है। उसने कहा कि मेरी मां अफरोज जहां ने मुझे इसके लिए प्रेरणा दी। आखिर एक स्वस्थ समाज तभी बनाया जा सकता है जब मां स्वस्थ रहेगी। रिफत की छोटी बहन आईआईटी कानपुर से बीटेक कर रही है।

मेडिकल सर्विसेज में सुधार चाहती हैं

ये है समीक्षा पाण्डेय। ऑल इंडिया रैंक 3624 है। पिता सत्येंद्र पाण्डेय एडवोकेट हैं और मां पुष्पा पाण्डेय स्कूल प्रिंसिपल हैं। समीक्षा ने बताया कि घर में पढ़ाई का माहौल और पैरेंट्स की प्रेरणा से यह कामयाबी मिली है। समीक्षा एमबीबीएस के बाद सरकारी हॉस्पिटल में जॉब करना चाहती हैं। समीक्षा का मानना है कि हमारे देश में अभी मेडिकल के क्षेत्र में बहुत सारे काम करना बाकी हैं। लेकिन सबसे जरूरी है पब्लिक हेल्थ सिस्टम को इंप्रूव करना ताकि हर व्यक्ति को सस्ता इलाज मिल सके। वहीं, श्रद्धा पाल की ऑल इंडिया रैंक है 4167. पिता रमेश पाल का बिजनेस है और मां हाउस वाइफ हैं। श्रद्धा डॉक्टर बनकर मेडिकल सर्विसेज में सुधार करना चाहती हैं ताकि सबको इलाज अवेलेबल कराया जा सके। श्रद्धा ने बताया कि लखनऊ का केजीएमसी कॉलेज उसकी पहली पसंद है।

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