- जिला प्रशासन ने लाउडस्पीकर लगाने के लिए जारी की गाइडलाइन

- नियमों का उल्लघंन करने पर सीधे सीजीएम कोर्ट में दर्ज होगा केस

- 150 धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर की परमीशन के लिए आये आवेदन

- 60 धार्मिक स्थलों को दी गई जिला प्रशासन ने परमीशन

- 04 कैटेगिरी में फिक्स किया गया लाउड स्पीकर का डेसीबल मानक

LUCKNOW:

धार्मिक स्थल हो या सार्वजनिक स्थल अब बिना अनुमति के लाउडस्पीकर नहीं बजेंगे। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण पर कंट्रोल करने के लिए धार्मिक व सार्वजनिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के मानकों को तय करने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया गया था। सोमवार को इसकी मियाद पूरी हो गई। पुलिस की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने लाउड स्पीकर लगाने के लिए गाइडलाइन जारी कर हैं। अब लाउडस्पीकर के लिए पुलिस व जिला प्रशासन के साथ पॉल्यूशन बोर्ड से भी परमिशन लेनी होगी। अब तक राजधानी में केवल 60 धार्मिक स्थल को ही परमिशन दी गई है जबकि 150 से ज्यादा आवेदन आए हैं।

डीएम ने की बैठक

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद एक फिक्स गाइड लाइन तैयार की गई है। वहीं साफ किया गया है कि मानकों को पूरा करने के बाद ही लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति दी जाएगी। सोमवार को डीएम कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता जिला प्रशासन, पुलिस और पॉल्यूशन बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक कर जरूरी दिशा निर्देश दिए।

लाउड स्पीकर के मानक

औद्योगिक क्षेत्र

- दिन में 75 डेसीबल

- रात में 70 डेसीबल

कॉमर्शियल क्षेत्र

दिन में 65 डेसीबल

रात में 55 डेसीबल

रेजीडेंशियल एरिया

- दिन में 55 डेसीबल

- रात में 45 डेसीबल

लाइसेंस जोन

- दिन में 50 डेसीबल

- रात में 40 डेसीबल

60 धार्मिक स्थल को मिली मंजूरी

जिला प्रशासन और पुलिस के पास आए आवेदनों में से 60 धार्मिक स्थलों को सशर्त मंजूरी दी गई है। 21 जनवरी से सख्ती से आदेश का पालन कराया जाएगा। डीएम ने बताया कि जिन धार्मिक स्थलों को अनुमति दी गई है उनमें से ज्यादातर पुराने लखनऊ के हैं। इन सभी को शर्त के साथ अनुमति दी गई है। शर्त यह है कि रात 10 से सुबह छह बजे के बीच वे लाउडस्पीकर का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन उसकी आवाज परिसर से बाहर नहीं जानी चाहिए।

नियम तोड़ा तो दोबारा नहीं मिलेगी अनुमति

डीएम कौशल राज शर्मा ने साफ कहा है कि यदि तय सीमा से अधिक शोर पाया गया तो अनुमति निरस्त कर दी जाएगी। इसके बाद दोबारा अनुमति नहीं मिलेगी। साथ ही जिनको अनुमति मिली है उनकी सार्वजनिक सूची थानों में लगाई जाएगी। इससे कोई भी आम नागरिक यह जान सकेगा कि किसके पास अनुमति है और किसके पास नहीं।

20 को सौंपेंगे रिपोर्ट

धार्मिक, सार्वजनिक स्थलों और जुलूस के लिए अलग अलग प्रारूप में अनुमति दी जा रही है। अब तक कितने स्थल चिह्नित हुए हैं और कहां शोर ज्यादा मिला इसकी पूरी रिपोर्ट 20 जनवरी को शासन को सौंपी जाएगी। डीएम ने सभी प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से 19 जनवरी की शाम तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

सीधे होगा कोर्ट केस

प्रशासन ने 43 थानों में 1960 ऐसे स्थल चिन्हित किए हैं, जहां पर लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण एक्ट के सेक्शन 16 में उल्लंघन के आरोपियों के खिलाफ बिना एफआईआर दर्ज कर सीधे कोर्ट केस दर्ज कराने का प्रावधान है। यह जानकारी सोमवार को जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने दी।

बिना अनुमति के लाउडस्पीकर बजाने पर दर्ज मुकदमे में एक लाख तक जुर्माना और पांच साल की जेल की सजा तक का कड़ा प्रावधान है। ऐसे मामले में सीधे पुलिस स्तर से किसी भी तरह की कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी।

- कौशल राज शर्मा, डीएम, लखनऊ

शहर के सभी धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर जहां जहां लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जाता है उन्हें चिन्हित कर जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंप दी गई है। लोगों को अवेयर करने के लिए मीटिंग के जरिए यह भी बताया गया है कि किसी तरह से वह अनुमति ले सकते है। अब जिला प्रशासन तय करेगा कि किन लोगों को लाउड स्पीकर की अनुमति दी जाएगी।

- दीपक कुमार, एसएसपी लखनऊ