- नोटा के प्रति लोगों ने खुलकर दी प्रतिक्रियाएं

- किसी ने बेहतर बताया तो किसी ने कहा पूरी तरह से बेकार

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया की ओर से नोटा (नन ऑफ द एवब) का ऑप्शन देकर पब्लिक के हाथों में एक ऐसा हथियार दे दिया है, जिसका इस्तेमाल कर देश में एक अलग बदलाव की क्रांति कर सकते हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि सिटी के लोग कह रहे हैं। कुछ इसे पूरी तरह से बेकार बता रहे हैं। लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं। जब हमने लोगों से इस बारे में सोशल नेटवर्किंग साइट्स से पूछा तो आइए आपको भी बताते हैं कि लोगों ने अपनी क्या-क्या प्रतिक्रियाएं थी।

कवि अजीत कुमार तलवार

इस कदम की मैं सराहना करता हूंसही कदम है, जिससे मतदाता अपनी मर्जी का सही इस्तेमाल कर सकता है। पिछले कई वर्षो से नेता लोग जनता का पागल बनाते आ रहे हैं, अब जाकर इस ऑप्शन से वो अपने दिमाग का ठीक समय पर उपयोग कर सकते हैं। कोई जरूरी तो नहीं की सब को वोट किया जाए। सब का अपना मन है। चाहे तो वोट दे। चाहे न दे।

Akshay Garg

वोट बेकार होने के अलावा कुछ भी नहीं है।

Mukesh Jain

मैं इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया के इस कदम की काफी सराहना करता हूं। ये बात बिल्कुल सही है कि ये जरूरी नहीं कि सभी कैंडीडेट पूरी तरह से सही हों। मुझे नहीं लगता है कि अगर इस ऑप्शन का इस्तेमाल किया जाए जो तो कोई बुराई है।

Tasavvar Ali

बिल्कुल सही है अगर कैंडीडेट पसंद न हो तो किसी भी वोट न करो यानि नोटा का इस्तेमाल करो। इससे आपका वोट फर्जी तरीके से कोई दूसरा नहीं डाल सकता।

Nitish Kumar Rajput

लेकिन जनता को इसका कुछ भी फायदा नहीं होगा। अगर इससे कुछ लाभ होता तो जरूर मुझे अच्छा लगता।

Sanjay Jain

किसी को तो आखिर चुनना ही होगा। इस ऑप्शन का कोई मतलब नहीं है। सिर्फ विरोध प्रकट करने से कोई मतलब नहीं है। एमपी तो उनमें से ही कोई बनेगा जो प्रत्याशी खड़े हुए हैं।

Reena Singhal

नोटा के ऑप्शन से मैं पूरी तरह से सही हूं। किसी कैंडीडेट को न चाहते हुए भी अपना मत कैंडीडेट और पॉलिटिकल पार्टी को बता सकता है।

मोहित कुमार सहगल

हां, यह हो सकता है, लेकिन इसके लिए वोटिंग परसेंटेज 100 फीसदी के आसपास या पूरा 100 फीसदी होना चाहिए।

Abhishek Aggarwal

नोटा सिर्फ ऑप्शन है। इससे होगा कुछ नहीं। एक तरह से वोटिंग परसेंटेज कम ही होगा। फायदा तब होगा जब नोटा पर बटन दबाने वालों की संख्या ज्यादा हो और इलेक्शन कैंसल हो जाएं। ऐसा कोई रूल नहीं है तो बेकार ही है।

Kuldeep Mitroliya

ये तभी यूज फुल है जब नोटा की वोट सबसे अधिक होने पर इलेक्शन में खड़े कैंडीडेट्स पर फ्यूचर में इलेक्शन लड़ने पर रोक लगा दी जाए।

Wajid Qassar

Nota is best, क्योंकि इससे उन नेताओं को सबक मिल जाएगा जो सिर्फ जनता को लूटने के जिए एमपी बनते हैं और देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।

Kuldeep Kumar Tyagi

हमारे देश में किसी को न किसी को चुनना मजबूरी की तरह है। अगर किसी को नहीं चुनेंगे तो कोई और ही आकर बैठ जाएगा। बेहतरी इसी में है उसी को वोट किया जाए जिसे आप अच्छे से जानते हैं। भले ही फिर वो निर्दलीय ही क्यों न हो?

Manisha Shrivastava

इलेक्शन कमीशन की ओर से लिया गया वो निर्णय काफी अच्छा है। इससे पब्लिक को काफी फायदा होगा। यदि कोई अपराधी कैंडीडेट चुनाव में उतर जाता है तो पब्लिक के सामने मजबूरी नहीं है कि वो किसी न किसी को वोट दे ही। इससे सच्चा और सही कैंडीडेट ही चुनकर आएगा।

इन प्रदेशों में हो चुका है सफल इस्तेमाल

अगर नोटा के इस्तेमाल की बात की जाए तो वर्ष ख्0क्फ् में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव नोटा का इस्तेमाल हुआ। जिसमें दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और मिजोरम हैं। अगर आंकडों पर गौर किया जाए तो दिल्ली में कुल वोटर्स की संख्या क्.क्9 करोड़ है। जबकि 80 लाख लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था। जिनमें से नोटा का इस्तेमाल ब्97फ्0 वोटर्स ने किया था। वहीं छत्तीसगढ़ में नोटा का इस्तेमाल फ्.भ्म् लाख वोटर्स ने किया था। जबकि यहां कुल वोटर्स की संख्या क्.म्8 करोड़ थी और अपने वोट का इस्तेमाल क्.फ्0 करोड़ वोटर्स ने किया था। अगर मध्यप्रदेश की बात की जाए तो कुल वोटर्स भ् करोड़ के मुकाबले सिर्फ अपने वोट का इस्तेमाल करीब 7ख्.भ्ख् फीसदी लोगों ने किया था। जिनमें म्.ब्फ् लाख लोगों ने नोटा का इस्तेमाल करते हुए अपने इरादे जता दिए थे। कुछ ऐसे ही हालात राजस्थान में भी देखने को मिले थे। इस राज्स में ब्.08 करोड़ वोटर्स थे। जिनमें अपने मत करा इस्तेमाल 7ब्.फ्0 फीसदी लोगों ने किया था। नोटा का इस्तेमाल करने वालों की संख्या भ्.म्7 लाख थी।