प्रयागराज ब्यूरो । आम तौर पर साल में दो नवरात्रि के बारे में ही ज्यादातर लोग जानते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि साल में चार नवरात्रि होती है. दो नवरात्रि तो वह है जिसमें कॉमनमैन एसोसिएट होता है और सेलीब्रेशन घरों में होता है. पूजा पाठ का अरेंजमेंट भी घर के भीतर ही होता है. लेकिन, दो नवरात्रि गुप्त के रूप में मनायी जाती है. गुप्त नवरात्रि बहुत ही रहस्मयी माना जाता है. क्योंकि इसके विषय में बहुत कम लोगों को जानकारी है. इस नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की नहीं बल्कि दस महाविद्या स्वरूप की पूजा होती है. हिन्दू मान्यता अनुसार देवी के रौद्र रूप को दस महाविद्याएं कहा जाता है. इस नवरात्रि का अपना अलग महत्व है. यह नवरात्रि मुख्य नवरात्रि से भिन्न होती है. यह नवरात्रि तंत्र-मंत्र और अन्य तांत्रिक क्रियाएं तांत्रिकों के द्वारा की जाती है. इसका शुभारंभ शनिवार को हुआ तो महाविद्या हासिल करने के लिए अराधना करने वाले सक्रिय हो गये. उन्होंने पूजा पाठ शुरू कर दिया है.

गोपनीय ढंग से होती है पूजा
काली बाड़ी मंदिर के सेवक गौतम कुमार बनर्जी ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में देवी की अराधना गोपनीय ढंग से की जाती है. गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक तंत्र क्रियाओं के द्वारा माता के दस महाविद्या स्वरूप को प्रसन्न करते है. तांत्रिक माता के दस महाविद्या वाले स्वरूप को प्रसन्न कर उनसे जन्म मरण से मुक्ति और अपनी मनोकामना पूर्ती की कामना करते हैं. दस महाविद्या में मां काली, मां तारा, मां छिन्नमस्ता, मां षोडशी, मां भुवनेश्वरी, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बंगलामुखी, मां मातंगी व मां कमला का पूजन किया जाता है. ऐसे माना जाता है कि जो भी तांत्रिक इस दौरान माता कि अराधना सच्चे मन से ध्यान मग्न होकर करता है, माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रूपों को धारण करने वाली माताओं को दस महाविद्या कहा गया है.

इस बार की गुप्त नवरात्रि खास है
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कहना है कि इस बार की गुप्त नवरात्रि खास है. क्योंकि, इसकी शुरूआत शनिवार से हुई है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लोगों के उद्धार के लिए अश्व पर सवार होकर आती हैं. गुप्त नवरात्रि में शिव मंदिर में अर्थात शिव की पूजा करना भी विशेष फलदायी होता है क्योंकि गुप्त नवरात्रि में मां शक्ति रूप में विराजमान होती हंै. भक्तों के द्वारा देवी मंदिरों में शतचंडी, सहस्त्र चंडी और लश चंडी का पाठ कराया जाता है.

गुप्त नवरात्रि क्यों अलग है?
वसंत या शारदीय नवरात्रि को प्रत्यक्ष और बाकी नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं
प्रत्यक्ष नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा होती है जबकि गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की पूजा होती है.
प्रत्येक नवरात्रि में सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव मनाया जाता है.
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधना और कठिन व्रत का महत्व है

गुप्त नवरात्रि में मां महाविद्या अद्वितीय रूप लिए हुए प्राणियों के समस्त संकटों का हरण करने के लिए आती हंै. देवी का दस महाविद्या स्वरूप तंत्र-मंत्र साधना के लिए बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण माना जाता है. इन दस महाविद्या की पूजा केवल गुप्त नवरात्रि में ही की जाती है.
गौतम कुमार बनर्जी
सेवक कालीबाड़ी मंदिर

गुप्त नवरात्रि में शक्तिपीठ पर पूजा करने का विशेष महत्व होता है. भक्तगण नारियल को संकल्पित करके पूजा करते हंै. इस तरह से पूजा करने से माता समस्त मनोकामनाओं की पूर्ती करती है.
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
प्रधान पुजारी, मनकामेश्वर मंदिर