- आजमगढ़ में पकड़ा गया था गैंग, कई जिलों में फैलाया अपना जाल

- चोरी की गाडि़यों के फर्जी कागजात तैयार कराकर करते थे सौदा

GORAKHPUR: ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनियों पर पब्लिक के भरोसे का बेजा फायदा चोर, उचक्कों और जालसाजों ने उठाना शुरू कर दिया है। ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी का सहारा लेकर जालसाज व्हीकल बेचने के बहाने लोगों के एकाउंट से रुपए उड़ाते थे। लेकिन अब एक नए मामले से पुलिस की नींद उड़ गई है। आजमगढ़ जिले से लेकर गोरखपुर, बस्ती मंडल सहित कई जगहों से बाइक उड़ाकर चोरों का गैंग ऑनलाइन बेचता था। आजमगढ़ में मामला पकड़े जाने के बाद यूपी पुलिस अलर्ट मोड में आ गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनियों पर लोगों के भरोसे को देखते हुए जालसाजों ने फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया है। ऑनलाइन कोई भी कहीं से ऑनलाइन सामान खरीद-बेच सकता है। ऐसे में फर्जीवाड़ा करते हुए जालसाज कंपनी के प्लेटफॉर्म पर ठगी का धंधा कर रहे हैं।

आजमगढ़ में पकड़ा गया नया गैंग

हाल के दिनों में शहर के भीतर ऑनलाइन वाहन बेचने का झांसा देकर जालसाज ने कई लोगों को चूना लगा दिया है। कैंट एरिया के एयरफोर्स के पास बुलाकर जालसाज खुद को आर्मी का जवान बताकर दो छात्रों को चपत लगा चुका है। इस मामले में दो अलग-अलग मुकदमे कैंट थाना में दर्ज कराए जा चुके हैं। इस तरह की घटना से पुलिस निजात पाती। इसके पहले नई जानकारी सामने आ गई। आजमगढ़ पुलिस ने एक ऐसे गैंग को अरेस्ट किया जो चोरी की बाइक ऑनलाइन बेचता था। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि गोरखपुर, बस्ती, महराजगंज, मऊ, आजमगढ़ सहित कई जिलों में बाइक चुराने वाले गैंग के मेंबर्स वाहनों की चोरी करके उसे बेचने के लिए ऑनलाइन अपडेट कर देते थे। फर्जी नाम-पते पर लिए गए सिमकार्ड से बनी आईडी पर लोगों को झांसा देकर सस्ते में गाड़ी बेच देते थे। एक शिकायत सामने आने पर पुलिस ने जांच पड़ताल की तो नौ बाइक संग तीन शातिर दबोचे गए।

ऐसे करते थे सौदेबाजी

आजमगढ़ पुलिस से जुड़े लोगों ने बताया कि बीते दिनों नरौली पुल के पास चेकिंग के दौरान तीन संदिग्ध पकड़े गए। उनकी पहचान आजमगढ़ जिले के अंशदीप सिंह, अंकित यादव और सरविंद यादव के रूप में हुई। तीनों ने पुलिस को बताया कि वह लोग टू व्हीलर और फोर व्हीलर की चोरी करते हैं। फिर चोरी की गाडि़यों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डाल देते हैं। फर्जी आईडी के जरिए एप पर डाले गए वाहनों की बिक्री के लिए फर्जी कागजात तैयार कराकर दे देते थे। जबकि किसी का कागज न बन पाने पर उससे गाड़ी लेकर किसी अन्य को बेच देते थे। फर्जी आईडी के जरिए ग्राहकों से संपर्क करते हुए सौदेबाजी करके फरार हो जाते थे। कुछ ग्राहकों की शिकायत पर पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद वाहन चोरी के मॉडर्न गैंग का पर्दाफाश किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिन गाडि़यों में उनके ओरिजनल पेपर होते थे। उनके मालिक के नाम पर फर्जी आईडी लगाकर चोरों का गैंग बिक्री करता था। इस गैंग के सदस्य कई जिलों में सक्रिय हैं।

ऐसे कर सकते हैं बचाव

कई ऑनलाइन मार्केटिंग एप पब्लिक के भरोसे पर खरे उतरते हैं।

इनकी विश्वनीयता और कार्य प्रणाली पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता है।

पब्लिक के लिए ओपेन मार्केट होने से हर कोई इस पर सौदेबाजी के लिए संपर्क करता है।

किसी वाहन की खरीदारी के पूर्व उसके संबंध में पूरी जांच पड़ताल करनी चाहिए।

वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन नंबर और चेसिस नंबर के आधार पर आरटीओ में जाकर जांच करें।

चोरी के वाहनों का फर्जी आईडी बनाकर जालसाज वाहन बेचकर फरार हो जाते हैं। इसलिए सिर्फ मोबाइल नंबर के भरोसे न रहें।

गाड़ी के स्टेट्स के हिसाब से उसका रेट तय होता है। यदि कोई नया वाहन सस्ते में मिल रहा हो तो गंभीरता से इसकी जांच पड़ताल करें।

किसी महंगे वाहन, सामान के सस्ते में मिलने की वजह जाने बगैर लेनदेन करना भी घाटे का सौदा हो सकता है।

वर्जन

गोरखपुर में ऐसा मामला सामने नहीं आया है। लेकिन ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनियों के सहारे जालसाज रोजाना फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। ऐसे में सावधानी बरतकर बचाव किया जा सकता है। टू व्हीलर और फोर व्हीलर खरीदने के मामले में सेलर से मिली जानकारी को आरटीओ में पुष्ट करना चाहिए। इसके अलावा ई वाहन एप के जरिए भी उसके बारे में पता किया जा सकता है।

- प्रवीण कुमार सिंह, सीओ क्राइम ब्रांच-साइबर सेल