- आग लगी तो सरकारी अस्पतालों के मरीजों का भगवान ही मालिक

- जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में नहीं हैं फायर फाइटिंग इक्विपमेंट

-बीआरडी में सामान मौजूद, लेकिन किसी काम के नहीं

GORAKHPUR: भुवनेश्वर के हॉस्पिटल में 22 लोगों की मौत ने एक बार फिर अस्पतालों में फायर फाइटिंग व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। आई नेक्स्ट ने इस मामले में सिटी के सरकारी अस्पतालों का जायजा लिया, तो यहां भी हालात बदतर ही मिले। सिचुएशन यह है कि अगर यहां सरकारी अस्पतालों में आग लग गई तो भी फिर मरीजों का भगवान ही मालिक है। जिला अस्पताल में तो आलम यह है कि आईसीयू छोडि़ए, पूरे हॉस्पिटल कैंपस में कहीं फायर फायटिंग इक्विपमेंट्स नहीं मिले। वहीं बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सामान तो थे, लेकिन इस लायक नहीं थे कि इससे किसी की जान बचाई जा सके।

स्पॉट - 1

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

आई नेक्स्ट टीम डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंची। इमरजेंसी से एंट्री करने के बाद चारों तरफ निगाह दौड़ाई, पर आग लगने पर बचाव के सामान कहीं नहीं दिखे। इसके बाद टीम इंसेफेलाइटिस वार्ड स्थित आईसीयू पहुंची। यहां का भी वही हाल था। कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के आईसीयू में पहुंचने पर भी फायर एक्सटिंग्युशर्स नहीं नजर आए। टीम आई नेक्स्ट ने पूरे अस्पताल कैंपस का जायजा लिया, लेकिन कहीं पर भी आग बुझाने के इंतजाम नहीं थे। आग लगने पर फायर ब्रिगेड के पहुंचने के चांस बहुत कम हैं।

क्षमता

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

टोटल बेड - 350

आईसीयू - 6

इंसेफेलाइटिस आईसीयू - 12

टोटल गैदरिंग - 400 से 500

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स्पॉट - 2

फीमेल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बाद आई नेक्स्ट टीम ने फीमेल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का रुख किया। यहां के हालात भी कमोबेश वैसे ही थे। पूरे कैंपस में आग बुझाने के सामान नदारद थे। बाहर निकलने के लिए लोगों को पतली-पतली गलियां बनी हैं। ओपीडी हो या फिर पूरा कैंपस अगर कहीं आग लग जाती है, तो जान बचाने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी।

टोटल गैदरिंग: 1000

स्पॉट - 3

बीआरडी मेडिकल कॉलेज

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से आई नेक्स्ट टीम ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज का रुख किया। 1050 बेड के इस हॉस्पिटल में सबसे पहले टीम इंसेफेलाइटिस वार्ड की ओर पहुंची। यहां फायर एक्सटिंग्युशर्स तो लगे नजर आए, लेकिन जब करीब जाकर देखा, तो इसमें से सामान गायब थे और उनपर जंग लग चुका था। वह इस हाल में नहीं थे कि इससे आग बुझाई जा सके। इसके बाद टीम एमआरआई वार्ड स्थित एनेसथीसिया आईसीयू के पास पहुंची। यहां पर अंधेरी गलियों में दूर-दूर तक फायर एक्सटिंग्युशर्स नहीं लगे हुए थे। कुछ केबलिंग वर्क किया जा रहा था। इन जगहों पर फायर फाइटिंग के कोई इंतजाम नहीं थे।

क्षमता

टोटल बेड - 1050

आईसीयू - 6 बेड

एईएस आईसीयू - 60 बेड

टोटल गैदरिंग - 1500 से 2000

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बॉक्स -

बीआरडी में दो बार लग चुकी है आग

बीआरडी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो यहां पहले ही दो बार आग लग चुकी है। एक बार ट्रॉमा सेंटर के अंदर शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। यहां एंप्लाइज ने किसी तरह आग बुझाई थी, इसके लिए इन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। वहीं एक बार एनएनयू के वेंटिलेटर में आग लग गई थी। जिसे बुझाने में भी जिम्मेदारों को नाकों चने चबाने पड़े थे।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में सिर्फ सर्वे

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में फायर एक्सटिंग्युशर्स की बात करें तो यहां सिर्फ सर्वे ही हुआ है, लेकिन इसकी सुविधा अब तक नहीं मिल सकी है। फायर डिपार्टमेंट की टीम ने जिला अस्पताल में कई बार सर्वे कर स्पॉट सेलेक्शन किया है, लेकिन अब तक इक्विमेंट्स इंस्टॉल नहीं हो सके हैं। यह फायर डिपार्टमेंट की लापरवाही है या फिर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की, यह तो जिम्मेदार ही जानते हैं, लेकिन इसकी वजह से पेशेंट्स और जनरल पब्लिक को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है।

वर्जन

आग से निपटने के लिए यहां पर हाईटेक इंतजाम किए जा रहे हैं। एडवांस फायर एक्सटिंग्युशर्स लगाए जा रहे हैं, जिसका काम चल रहा है। इसकी वायरिंग की जा रही है। इसके लगते ही पूरा हॉस्पिटल फायर सिक्योर हो जाएगा। वहीं कई जगह हाईड्रेंट मौजूद हैं, जहां खराब हो गए हैं, वहां भी बदले जा रहे हैं।

- एके श्रीवास्तव, एसआईसी, बीआरडीएमसी

हॉस्पिटल में कई जगह फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स लगाए गए हैं। यहां आग से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं।

- डॉ। एचआर यादव, एसआईसी, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

(हालांकि आई नेक्स्ट को हॉस्पिटल कैंपस में एक भी फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स नहीं दिखे.)