- वेस्टर्न कचहरी रोड पर चल रही है एसआरएल नाम की लैब

- रजिस्ट्रेशन किसी डॉक्टर का और रिपोर्ट किसी और नाम से

- एक ही लैब में तीन डॉक्टर दे रहे हैं रिपोर्ट

- आई नेक्स्ट के स्टिंग ने खोली लैब की पोल

Meerut : बिना डॉक्टर और बिना रजिस्ट्रेशन के पैथोलॉजी लैब चलाना गैर कानूनी है। हाईकोर्ट ने भी आदेश जारी किए थे, लेकिन मेरठ में इसे मानने वाला कौन है? यहां खुले आम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां लैब बिना डॉक्टर के चल रही है। आई नेक्स्ट ने जब अपने स्टिंग से इसकी इसकी सच्चाई जानने का प्रयास किया तो एसआरएल लैब पर काफी गोलमाल मिला। यहां जिस डॉक्टर ने रिजाइन कर दिया है, उसी के नाम का सहारा लेकर यह लैब को चलाया जा रहा है। आखिर कैसे हो रहा है पूरे मामले में झोल, आखिर क्या निकली स्टिंग से हकीकत, आइए जानते खबर में पूरा सच।

क्या है हाइकोर्ट में दिया आदेश

वर्ष ख्000 में रिट पिटीशन संख्या 8ख्0 के तहत हाइकोर्ट में यूपी गवर्नमेंट के खिलाफ राकेश श्रीवास्तव ने केस दायर किया था। एक अप्रैल ख्00ब् को यह आदेश दिया गया था कि यूपी में कोई भी लैब, हॉस्पिटल या क्लीनिक खोलने से पहले सीएमओ ऑफिस में उसका रजिस्ट्रेशन कराना बेहद महत्वपूर्ण है। बिना रजिस्ट्रेशन के लैब चलाना गैर कानूनी होगा।

ऐसे हुआ स्टिंग

आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने पहले एसआरएल लैब पर जाकर अपना ब्लड टेस्ट करवाया। यहां रिपोर्टर के ब्लड की रिपोर्ट में डॉ। परेश एच भारिया के हस्ताक्षर किए गए। रिपोर्टर को पता लगा कि यह लैब डॉ। अंजलि शर्मा के नाम से रजिस्टर्ड है। इसके बाद रिपोर्टर ने जब जांच की तो पता चला कि डॉ। अंजलि तो रिजाइन कर चुकी हैं। उनके रिजाइनिंग लेटर को खंगाला गया तो पता लगा कि यह लेटर दो सितम्बर को ही सीएमओ ऑफिस में दिया गया है, लेकिन डॉक्टर के जाने के बाद भी आखिर यह लैब कौन डॉक्टर चला रहा है। इस बात को जानने के लिए वहां ब्लड टेस्ट करवाया गया तो सब कुछ गोलमोल ही निकला।

पूरा मामला गोलमोल

रिपोर्टर ने जब लैब पर जाकर टेस्ट करवाया तो वहां कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। लैब से जब रिपोर्ट मिली तो वहां किसी दूसरे डॉक्टर के हस्ताक्षर मिले। वहां लैब के बारे में जानकारी ली गई तो पता लगा कि वहां सुबह और शाम को दोनों ही समय अलग डॉक्टर होते हैं। दोनों डॉक्टर में से कोई भी ऐसा नहीं है, जिनके नाम से लैब रजिस्टर्ड हो। इनमें सुबह के समय डॉ। अमित और शाम के समय डॉ। गौरव द्वारा रिपोर्ट तैयार करने की सूचना मिली, जबकि हकीकत में इस लैब का सीएमओ ऑफिस में कोई रजिस्ट्रेशन ही नहीं है। लैब अभी भी डॉ। अंजलि शर्मा के नाम का सहारा लेकर खुद को रजिस्टर्ड दिखा देती है।

एक नहीं, कई और भी

यह तो महज एक ही लैब का मामला है, लेकिन हम मेरठ में चलने वाली अन्य लैब पर नजर डाले। मेरठ में मवाना, मेडिकल, कंकरखेड़ा और वेस्टर्न कचहरी रोड जैसी जगह ऐसी हैं, जहां पर काफी सारी लैब बिना डॉक्टर के और रजिस्ट्रेशन के अपना गैर कानूनी काम चला रही हैं।

दो बार कर चुके हैं शिकायत

लैब से रिजाइन देने वाली डॉ। अंजलि शर्मा से बातचीत की गई तो यह बात सामने आई कि वह सीएमओ ऑफिस में इसकी शिकायत कर चुकी हैं। डॉ। अंजलि ने बताया कि वह तो सीएमओ ऑफिस में दो सितम्बर को रिजाइनिंग लेटर की सूचना लिखित दे चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद लैब उनके नाम से चल रही हैं। इसके लिए सीएमओ को नोटिस भेजने के लिए भी कहा जा चुका है।

मुझे इस बारें में जानकारी नहीं है कि मेरठ की ब्रांच में डॉ। अंजलि रिजाइन कर चुकी हैं। मैं एक-दो दिन में इसकी जानकारी करूंगा, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।

-प्रमोद चौरसिया, यूपी मैनेजर, एसआरएल लैब

अगर किसी लैब की शिकायत पर उसकी जांच नहीं की जाती है, या फिर किसी लैब का गैर रजिस्ट्रेशन चलाया जा रहा है और उसकी जानकारी के बावजूद भी सीएमओ लेवल पर कार्रवाई नहीं होती, तो उसका स्पष्टीकरण सीएमओ से ही मांगा जाएगा।

-एसके दुबे, एडीएम सिटी

लैब की डॉक्टर का रिजाइनिंग लेटर देने के बाद विभाग को उसके बंद होने की ही सूचना थी। लैब चल रही हैं ये मामला संज्ञान में नहीं था, अब मामले की पूरी जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ। अमीर सिंह, सीएमओ

लैब का रजिस्ट्रेशन होना बेहद जरुरी है, जिस नाम के डॉक्टर से लैब रजिस्टर्ड है अगर वो रिजाइन दे दे, तो ऐसी परिस्थिति में लैब को नए डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन करवाना बेहद आवश्यक है।

-डॉ। एसएस सिरोही, अध्यक्ष लैब एसोसिएशन