स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है का नारा देने वाले बाल गंगाधर तिलक की कही 5 बातें
धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है।  असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।

स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है का नारा देने वाले बाल गंगाधर तिलक की कही 5 बातें

प्रगति स्वतंत्रता में निहित है। बिना स्वशासन के न औद्योगिक विकास संभव है , न ही राष्ट्र के लिए शैक्षिक योजनाओं की कोई उपयोगिता है… देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न करना सामाजिक सुधारों से अधिक महत्वपूर्ण है।

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भूविज्ञानी पृथ्वी का इतिहास वहां से उठाते हैं जहां से पुरातत्वविद् इसे छोड़ देते हैं , और उसे और भी पुरातनता में ले जाते हैं।

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ये सच है कि बारिश की कमी के कारण अकाल पड़ता है लेकिन ये भी सच है कि भारत के लोगों में इस बुराई से लड़ने की शक्ति नहीं है

स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है का नारा देने वाले बाल गंगाधर तिलक की कही 5 बातें

हो सकता है ये भगवान की मर्जी हो कि मैं जिस वजह का प्रतिनिधित्व करता हूं। उसे मेरे आजाद रहने से ज्यादा मेरे पीड़ा में होने से अधिक लाभ मिले।

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