-तीन वर्ष में सिटी के अलग-अलग रेलवे ट्रैक पर 13 मौत

-ढाई साल के दौरान हुए राजधानी में 750 सड़क हादसे

-तीन सौ से ऊपर लोग रोड एक्सीडेंट्स में गवां चुके हैं जान

-पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का नहीं पड़ रहा असर

DEHRADUN : ट्रिपल राइडिंग जानलेवा है, हेलमेट का इस्तेमाल करें, बंद रेलवे क्रॉसिंग को पार करने की कोशिश न करें, बच्चे को जिंदगी दें बाइक नहीं, रस ड्राइविंग से बचें, कार में सीट बेल्ट लगाएं। ऐसे जाने कितने स्लोगन राजधानी के रोड्स पर लिखे मिल जाएंगे। काश लोग इनका पालन करते तो आए दिन हो रहे सड़क हादसे और उसमें घायल होने और मरने वालों की संख्या में कमी आती। सिटी में बाइक और कार ड्राइविंग करने वाले इतनी जल्दी में रहते हैं कि उन्हें पुलिस के नियम कानून या तो दिखाई नहीं पड़ते या फिर वे उसे देखकर भी अनदेखा करने की आदत सी बन गई है।

सबक नहीं लेते लोग

हादसे बताकर नहीं होते कई बार तो एक्सीडेंट्स में वाहन चलाने वाले की भी गलती नहीं होती। दूसरे की गलती से जान तक चली जाती है। बीते ढाई वर्ष के दौरान राजधानी के अलग-अलग थाना एरिया में 7भ्0 से अधिक हादसे हुए। फ्0 जून ख्0क्ब् तक दून में क्फ्9 एक्सीडेंट्स हो चुके हैं। वर्ष ख्0क्फ् में हादसों की कुल संख्या ख्9म् थी, जबकि ख्0क्ख् में सबसे अधिक एक्सीडेंट्स में दर्ज किए गए। इनकी संख्या फ्ख्भ् रही। खबर पढ़कर अफसोस जाहिर करने के अलावा लोगों के पास कोई चारा नहीं बचता। हैरान करने वाली बात यह है कि इन एक्सीडेंट्स में यूथ के एक्सीडेंट का प्रतिशत भ्भ् के करीब है।

खूब हो रहे घायल

हाल में डीजीपी बीएस सिद्धू द्वारा ट्रैफिक रूल्स को फॉलो कराने के साथ ही क्राइम कंट्रोल के लिए पुलिस की एक खास टीम सीपीयू(सिटी पेट्रोल यूनिट) सड़क पर उतारी गई। इसका अच्छा असर भी पड़ा और कैपिटल में अधिकतर बाइक चालकों ने हेलमेट लगाना शुरू कर दिया। हांलाकि, अब धीरे-धीरे लोगों की ये आदत छूटने लगी है और रोड्स पर तमाम युवा ऐसे मिल जाएंगे जो हेलमेट को सिर पर लगाना अपनी तौहीन समझते हैं। इस वर्ष जून माह के आखिर तक कुल क्क्0 लोग अलग-अलग एक्सीडेंट्स में घायल हो चुके हैं। वर्ष ख्0क्फ् में यह संख्या ख्7ब् थी जबकि, ख्0क्ख् में कुल ख्7फ् व्यक्ति रोड हादसों में घायल हुए थे।

लगातार जा रही है जान

जून ख्0क्ब् तक राजधानी के अलग-अलग थाना एरिया में म्8 लोगों की जान सड़क हादसे में जा चुकी है। ख्0क्फ् में क्फ्8 व्यक्ति रोड एक्सीडेंट्स के शिकार हुए। वहीं ख्0क्ख् में हुए रोड एक्सीडेंट्स में क्फ्म् मौते हुई थी। लगातार हो रही मौतों के बावजूद यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। एक आंकलन के मुताबिक, सिटी के आउटर एरिया हादसे के लिए सबसे कुख्यात बनते जा रहे हैं, जिसमें शिमला बाईपास रोड, डोईवाला रोड, आईएसबीटी रोड, प्रेमनगर रूट मुख्य रूप से शामिल हैं। यहां ओवर स्पीड हादसों का मुख्य वजह बन रही है।

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रेलवे ट्रैक पर नियमों की अनदेखी

जल्दी में कई बार जानलेवा साबित होती है। राजधानी के कई रेलवे क्रॉसिंग पर लोगों को उस समय बैरियर के नीचे से जाते हुए देखा जा सकता है। जब ट्रेन आने का समय हो गया हो। कान में इयर फोन लगाकर ट्रैक पार करना भी मौत को बुलावा देने जैसा ही है। फिर भी कुछ उत्साहित ऐसा करना बहादुरी समझते हैं। हाल ही में रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ लगे बैरियर के सड़क को इसीलिए ऊंचा किया गया कि बैरियर के नीचे से बाइक आसानी के साथ न निकल पाए। फिर भी वाहन चलाने वाले कहां मानते हैं। तीन साल के दौरान अलग-अलग ट्रैक पर एक दर्जन के करीब लोगों की जानें गई, जिसमें कुछ केस सुसाइड के भी थे।

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रोड रूल्स को फॉलो करने मात्र से ही हादसों से बचा जा सकता है। स्पीड पर कंट्रोल रखना भी एक्सीडेंट्स से बचने के लिए कारगर होता है। कार चालकों के लिए भी सीट बेल्ट जरूरी कर दिया गया है। रेलवे बैरियर पर सिक्योरिटी की जिम्मेदारी रेलवे के पास ही है, लेकिन संबंधित एरिया की थाना पुलिस को भी इस बाबत अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।

-अजय रौतेला, एसएसपी, देहरादून