- मंगल ब्याह में बही अवधी गीतों की बयार

LUCKNOW: बइठी नौरंगिया की डार, आयगे हैं तिलकहारू, माड़ौ तो बड़ा सुंदर, रुचि रुचि पीसै मेंहदिया, लगन आई हरे हरे शगुन लाई, बाजन बाजै दुआर रंगीला, जैसे परम्परागत अवधी विवाह संस्कार गीतों की बयार मंगलवार की शाम जीआईसी ग्राउंड निशातगंज में बही। मौका था मंगल ब्याह का जिसमें वर के तौर पर विवेक और वधु के रूप में संगीता परिणय सूत्र में बंधकर दाम्पत्य जीवन में प्रवेश किया। भारतीय लोक संगीत को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सारेगामा भारतीय संगीत सामाजिक एवं सांस्कृतिक वेलफेयर संस्थान जीवंत के द्वारा लोक संगीत पर आधारित देश के पहले परम्परागत भारतीय विवाह संस्कार मंगल ब्याह के आयोजन किया। यह पूरा आयोजन मार्वलस बुक आफ व‌र्ल्ड रिकॉ‌र्ड्स की ओर से अनूठे विवाह के एक विश्व रिकॉर्ड के रूप में दर्ज हुआ। मार्वलस बुक की ओर से नामित प्रतिनिधि अनूप गुप्ता ने नवदम्पति को मंगल ब्याह आयोजन को रिकॉर्ड घोषित करते हुए प्रमाण पत्र सौंपा। जबकि अवधी लोक गायिका कुसुम वर्मा व उनकी सखियों ने सगाई, तिलक, मण्डप छाजन, हल्दी, मेंहदी, बारात, द्वारचार, जयमाल, भांवर, ज्योनार-गारी, लावा परछन, माड़ो हिलाई से लेकर विदाई तक के 17 प्रमुख व विशिष्ट अवधी गीतों की क्रमश: प्रस्तुति दी। दहेज रहित अंतर्जातीय विवाह और भारतीय संस्कारों व लोक परम्परा का वाहक बन कर उभरा। मंगल ब्याह के लिए इण्डिया बुक ऑफ रिका‌र्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिका‌र्ड्स भी रिकार्ड के लिए पहले ही सहमति प्रदान कर चुकी हैं।