पूरे दिन बहनें भाईयों की कलाई पर बांध सकेंगी राखी

दोपहर 1.16 से तीन बजे तक है विशेष मुहूर्त

ALLAHABAD:

भाई-बहन के अटूट स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। तीन साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि भद्रा सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी। बहनें दिन भर भाई की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। उन्हें किसी निश्चित समय का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार रक्षाबंधन पर सिंहासन गौरी योग रहेगा। बहन-भाई के जीवन में सिंहासन योग से राजपाट, वैभव और गौरी योग से मंगल, शुभ समाचार जीवन में आएंगे। आर्थिक संपन्नता भी आएगी।

सिंहासन गौरी युग है श्रेष्ठ मुहूर्त

रक्षाबंधन 18 अगस्त यानी गुरुवार को है। सिंहासन गौरी युग में रक्षासूत्र बांधा जाएगा। तीन साल बाद भद्रा का साया रक्षाबंधन पर नहीं पड़ेगा। सूर्योदय से लेकर दोपहर तक राखी बांधने का श्रेष्ठ मुर्हूत है। भद्रा का साया सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जा रहा है।

पूर्णिमा का योग

ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्र्णेय के अनुसार 18 अगस्त को पंचांग में दिन के 3 बजकर एक मिनट व 3 बजकर आठ मिनट तक पूर्णिमा है। इस तिथि को घनिष्ठा नक्षत्र शोभन योग है। दिन में 1 बजकर तीन मिनट तक मकर राशि में चंद्रमा है और उसके बाद कुंभ राशि में चंद्रमा का प्रवेश हो जाएगा।

भद्रा क्या है

हिंदू धर्म शास्त्रों में भद्रा सूर्य की पुत्री और शनि की बहन है। शनि की तरह ही इसका अपना स्वभाव क्रूर बताया गया है। इस उग्र स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ब्रह्मा ने उसे काल गणना या पंचांग के प्रमुख अंभकरण में स्थान दिया। भद्रा में शुभ कार्य व यात्रा को निषेध माना गया है।

बन रहा है शुभ योग

सिंहासन योग, गौरी योग दोनों मिलकर शुभ योग बना रहे हैं। सिंहासन राजपाट का प्रतीक है तो गौरी खुशहाली का। इसमें किये गये सारे कार्य मंगलमय होते हैं। यहां सिंहासन योग भाई को सफलता दिलाएगी।

असुरों पर विजय का प्रतीक

रक्षाबंधन गुरुवार को है। इसे भाई-बहनों के लिए शुभ माना जा रहा है। मान्यता है कि देवताओं के गुरु वृहस्पति ने ही इंद्र को असुरों पर विजय पाने के लिए रक्षाबंधन का सुझाव दिया था। इसके बाद इस त्योहार को मनाने का चलन शुरू हुआ।

17 को ही रखें पूर्णवासी व्रत

18 अगस्त को श्रवण पूर्णिमा है। इसमें भद्रा का योग नहीं है। पंडित सुभाष पांडेय ने बताया कि रक्षा बंधन का शुभ मुर्हूत 18 को दिन के 3 बजकर 3 मिनट तक है। उसके बाद श्रवणा नक्षत्र में प्रवेश हो जाएगा। इसमें भी बहनें राखी बांध सकती हैं। 17 अगस्त को दिन के 3 बजकर 50 मिनट से पूर्णिमा का प्रवेश हो रहा है और रात्रि के 3 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। जो पूर्णवासी व्रत रखते हैं वे 17 को ही व्रत रखेंगे।

पूरा दिन शुभ मुहूर्त

सुबह 6 बजे से 7.30 बजे शुभ

सुबह 10.30 बजे से 12 बजे चर

दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे लाभ

दोपहर 1.30 बजे से 3 बजे अमृत

शाम 4.30 बजे से 6 बजे शुभ

शाम 6 बजे से 7.30 बजे अमृत