- 18 अक्टूबर को हुआ था लापता, मां-बेटे समेत तीन गिरफ्तार

- पेट्रोल से जलाई डेडबॉडी, कंकाल को नाले में फेंक दिया था

आगरा। किरावली तहसील में दस्तावेज टाइप करने वाले लापता युवक की हत्या उसके परिचितों ने की थी। लाश को छह दिन तक घर में रखकर उसे पेट्रोल डालकर किश्तों में जलाते रहे। शव के कंकाल में बदलने के बाद उसे नाले में ले जाकर फेंक दिया। हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने मां-बेटे समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अपहरण के पीछे रंजिश और 50 लाख रुपये फिरौती वसूलना था।

घर लौटते समय हो गया लापता

अछनेरा के गांव नागर निवासी 32 वर्षीय धर्मेद्र तिवारी पुत्र हरिओम शर्मा किरावली तहसील में दस्तावेज टाइप करने का काम करता था। वह 18 अक्टूबर को घर लौटते समय लापता हो गया था। गुरुवार को पुलिस लाइन में आयोजित पत्रकार वार्ता में एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि धर्मेद्र तिवारी की हत्या जैतपुर के गांव रिक्षापुरा निवासी ललित किशोर और उसके चचेरे भाई अरुण प्रताप सिंह उर्फ दीपक निवासी रुनकता ने की थी। इस साजिश में ललित की मां शालिनी भदौरिया भी शामिल थीं। तीनों को गिरफ्तार कर लिया है।

साजिश के तहत घर ले गया

ललित ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि 18 अक्टूबर को उसने साजिश के तहत धर्मेद्र को तहसील के बाहर रोक लिया। उसे बताया कि अपना पर्स घर पर भूल गया है। उससे घर तक छोड़ने को कहा। वह पथौली में निखिल मेंगोलिया ग्रीन पिंक सिटी कॉलोनी में रहता है। यहां पर धर्मेद्र को लाने के बाद कॉफी में नींद की गोलियां मिलाकर पिला दिया। इसके बाद उसके हाथ-पैर बांध करके मुंह में टेप चिपका दिया। उनकी योजना फिरौती वसूलने के बाद उसकी हत्या करने की थी।

बदबू फैलने से रोकने को जलाई अगरबत्ती

दो घंटे बाद होश में आते ही धर्मेद्र खुद को बंधन मुक्त कराने की कोशिश करने लगा। इस पर अरुण और उसने मिलकर उसके मुंह पर दोबारा टेप चिपका दिया। जो नाक में लगने के चलते सांस रुकने पर धर्मेद्र की मौत हो गई। शव बाहर ले जाकर ठिकाने लगाने पर पकड़े जाने का डर था। इसलिए तीन दिन तक लाश घर में रखी। शव की दुर्गध घर से बाहर नहीं जाए इसके लिए दर्जनों अगरबत्ती जलाकर रखते थे।

छह दिन तक नहीं सोए

21 अक्टूबर को 11 लीटर पेट्रोल लाकर लाश को जलाने का सिलसिला शुरू किया। तीन दिन तक पैर-हाथ समेत शरीर के एक-एक हिस्से को पेट्रोल डालकर जलाते रहे। इससे लाश पूरी तरह कंकाल में बदल गई। ललित और अरुण प्रताप उसे रजाई के खोल में लपेटने के बाद बैग में रखकर बिचपुरी-बोदला रोड पर एक नाले में फेंक आए। इस दौरान तीनों आरोपित छह दिन तक नहीं सोए। घर से बाहर जाकर बारी-बारी से खाना खाकर आते थे।

ऐसे में मिला सुराग

पुलिस को किरावली तहसील के बाहर ललित और अरुण प्रताप सिंह के सीसीटीवी फुटेज मिले थे। उसने आरोपितों के सुराग को ये पोस्टर विभिन्न जगहों पर चस्पा कर दिए। अरुण के पिता पोस्टर में पुत्र का फोटो देखकर विरोध करने थाने पहुंच गए। पुलिस को यहीं से सुराग मिला।

इसलिए मानने लगा रंजिश

अपहरण और हत्या का कारण ललित की मृतक के पिता हरिओम से डेढ़ साल पूर्व हुई रंजिश भी थी। ललित ने बताया उसकी शादी वर्ष 2012 में देहरादून की युवती से हुई थी। विवाद के चलते वह दो साल बाद अपने मायके चली गई। उसके खिलाफ मुकदमा करा दिया। पुलिस से बचने को उसने मकान बदल दिया। हरिओम ने उसका पता पत्नी को बता दिया। पुलिस दबिश देने आ गई। इससे वह रंजिश मानने लगा था।

फिरौती से दूसरे शहर में करते कारोबार

ललित किशोर एक फार्मा कंपनी में एरिया मैनेजर था। जबकि अरुण प्रताप एक बैटरी कंपनी में काम करता है। पत्नी से विवाद के चलते ललित की नौकरी छूट गई। फिरौती की रकम से वह और अरुण दूसरे शहर में जाकर कोई कारोबार शुरू करना चाहते थे।