- लोहाघाट व खटीमा की टीमों ने बिखेरे पहाड़ की संस्कृति के रंग

- स्थानीय टीमों के कलाकारों ने लोक गीत और नृत्यों से बांधा समां

BAREILLY:

उत्तरायणी जनकल्याण सोसायटी की ओर आयोजित तीन दिवसीय उत्तरायणी मेले के आखिरी दिन ठंड के नाम रही। मैदान में सजे ऊलेन कपड़ों की दुकान पर लोगों की जबरदस्त भीड़ रही। कम कीमतों में बेहतरीन क्वालिटी के गर्म कपड़ों की बरेलियंस ने जमकर खरीदारी की। समापन के मौके पर सांस्कृतिक टीमों ने परफार्मेंस से मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं देवभूमि की झलक से हर दिल आशना हो गया। रंगारंग कार्यक्रमों संग सांस्कृतिक छटा बिखेरकर 22वें उत्तरायणी मेले का समापन हो गया। कार्यक्रम के दौरान शम्भूदत्त वेलवाल, गिरीश चंद्र पांडेय, डीडी बेलवाल, माधवानंद तिवारी, देवेंद्र जोशी समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

कुछ यूं गुजरा अाखिरी दिन

बरेली क्लब ग्राउंड में आयोजित उत्तरायणी मेले के तीसरे दिन देर शाम तक भीड़ जुटती रही। मेले में स्टेज पर सिंगर्स की परफार्मेस ने जहां अपने सुरों का जादू बिखेरा, तो वहीं पहाड़ी नृत्य ने ऑडियंस का मन मोह लिया। रोड पर सजे गर्म कपड़े और खाने-पीने की चीजों ने लोगों को खूब आकर्षित किया। मेले के फूड प्लाजा में तो भीड़ इस कदर थी कि पांव रखना मुश्किल हो गया था। अंतिम दिन मेले में शॉपिंग करने वालों को शॉपकीपर्स ने जमकर डिस्काउंट दिया। आखिरी दिन यह भीड़ ब्लैंकेट्स की शॉप पर सबसे ज्यादा दिखाई दी। यहां ब्लैंकेट की खास रेंज होने की वजह से लोग इसे खूब पसंद कर रहे थे।

संस्कृति सहेजती रही प्रस्तुतियां

सुबह से ही भीषण ठंड के साथ लोक संस्कृति का अविरल धारा प्रवाह प्रस्तुतियों ने मदमस्त कर दिया। एक ओर देवभूमि से पधारे कलाकारों ने पौराणिक लोक नृत्यों से भाव विभोर किया, तो दूसरी ओर स्थानीय कलाकारों ने संस्कृति को सहेजती कई मनमोहक प्रस्तुतियां दी। उत्तरायणी जनकल्याण समिति के 22वें उत्तरायणी मेले के अंतिम दिन कार्यक्रमों की शुरुआत छोलिया टीम की प्रस्तुति से हुई। स्थानीय टीमों ने कुमाऊंनी और गढ़वाली गीतों पर आकर्षक नृत्य पेश किया। फिर लोहाघाट की कुमाऊं लोक सांस्कृतिक कला दर्पण के कलाकारों ने बैलों की कथा पर आधारित हास्य नाटिका 'शाबाश मेरो मोतिया बल्द तीले धारो बोला' अनोखे अंदाज में पेश की। खटीमा की जय पूर्णागिरि उत्थान समिति के कलाकारों ने मंच संभाला। 'ठंडो हो ठंडो म्यार पहाड़ को पानी ठंडो हवा' हीरा समधिनी व नेपाली नृत्य से समा बांध दिया।