पढ़िए टी 20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल वेस्टइंडीज के हाथों टीम इंडिया की हार के कारणों पर आईनेक्स्ट के सीनियर न्यूज एडिटर उमंग मिश्र @umangmisra का विश्लेषण...
वजह नंबर 1. धोनी की वजह से करीब 20 रन कम बने
जब रहाणे आउट हुए उस समय 4.5 ओवर बचे थे। तब ऐसे हिटर्स को भेजने की जरूरत थी जो पहली गेंद से लंबा शॉट खेलें। इस काम के लिए पांड्या मुफीद थे। पांड्या के बाद मनीष पांडे आ सकते थे। अगर धोनी खुद बल्लेबाजी करने न उतर जाते तो भले ही भारत के दो विकेट और गिरते लेकिन कई छक्के भी मिलते। भारत कोई चेज नहीं कर रहा था जो टार्गेट हासिल करने के लिए धोनी बेहतर थे। भले ही धोनी की रनिंग बिटविन विकेट आज भी बहुत तेज है लेकिन अब उनके लिए छक्के लगाना पहले जितना आसान नहीं रहा। गौर करें तो वो अब या तो शार्ट पिच गेंद पर पुल करके छक्का लगाते हैं या जब उन्हें ओवर पिच या गुड लेंथ गेंद मिले जिसपर उन्हें बैकलिफ्ट यूज करके ताकत से प्रहार का मौका मिले।
हेलिकॉप्टर शॉट बढ़ती उम्र के साथ उड़ चुका है। वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने धोनी के दोनो हिटिंग एरिया में गेंद नहीं डाली और धोनी सिंगल लेते रहे। नतीजा ये हुआ कि लास्ट ओवर्स की हिटिंग भी थके होने के बावजूद विराट कोहली को करनी पड़ी। इसका अंदाजा इसी बात ये लगाया जा सकता है कि धोनी के आने के बाद फेंकी गई 29 गेंदों में से सिर्फ 9 धोनी ने खेली। धोनी सिर्फ 1 चौका लगा सके और वो भी विकेट के पीछे किसी तरह गेंद को ढकेल कर। यानि आखिर के साढ़े चार ओवर में एक छोर से सिर्फ 1 चौका लगा। जाहिर है टीम इंडिया के टोटल में करीब 20 रन की कमी रह गई। अगर धोनी के बजाय पांड्या और मनीष पाण्डेय उतरते तो तस्वीर कुछ और होती।
वजह नेबर 2. गलती पांड्या की नहीं उन्हें यूज करने वाले की
टीम इंडिया शायद 192 को भी डिफेंड कर ले जाती। पर धोनी ने दूसरी पारी के दौरान कई चूक की। जब कोहली ने चार्ल्स को चलता किया था उस ओवर के बाद 6 ओवर बचे थे। ये वो मौका था जब फ्रंट लाइन का गेंदबाज लगाकर अगले ओवर में दबाव बनाया जाना चाहिए था। वेस्टइंडीज हिट करने को मजबूर थी इसलिए प्रमुख गेंदबाज विकेट ले सकता था। लेकिन ऐसे मौके पर धोनी पांड्या का स्पेल पूरा कराने लगे। पांड्या के आखिरी ओवर में इतने रन बन गए जहां से फिर टीम इंडिया वापसी नहीं कर पाई।
जब मेन स्ट्राइक बॉलर अश्विन के 2 ओवर बचे रह गए हों और पांड्या ने 4 ओवर डाले हों तो समझा जा सकता है कि चूक कहां हुई है। माना कि ओस की वजह से स्पिनरों को परेशानी हो रही थी लेकिन अश्विन दिमाग से बल्लेबाज को हराने की क्षमता भी रखते हैं। ऐसे में अपने मुख्य गेंदबाज का अंडर यूटिलाइजेशन हार की वजहों में से एक है। गलती पांड्या की नहीं उन्हें यूज करने वाले की है।
वजह नंबर 3. विनिंग नहीं लूजिंग कॉम्बिनेशन था ये
पूरे विश्व कप में धोनी मनमानी करते रहे। सुरेश रैना खराब फॉर्म में हैं, उछलती गेंद खेल नहीं पाते, पाटा विकेट पर ही सफल होते हैं, और तो और अब वजन भी बढ़ गया है जिस कारण पहले जैसी फील्डिंग भी नहीं कर पाते। इसके बावजूद लगातार खिलाए जाते रहे। जडेजा से यारी ऐसी कि सर जोड़ दिया नाम में भले ही इतने मैच क्यों खेल गए इस बात को सोच के ताज्जुब होता है।
किस्मत ने पहुंचाया था सेमीफाइनल तक
पाकिस्तान के खिलाफ भी भारत मैच हार गया होता अगर 3 विकेट गिरने के बाद कोहली ने अद्भुत पारी न खेली होती। बांग्लादेश के खिलाफ 1 रन से जीते वो भी तब जब बांग्लादेशियों की अनुभवहीनता की वजह से आखिरी तीन गेंद में 3 विकेट गिरे जिसमें से आखिरी रन आउट था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फिर कोहली का चमत्कार। कोहली की आड़ में सब छुपा रहा। सेमीफाइनल में भी छिप जाता अगर किस्मत भारत को धोखा न देती। लेंडल सिमंस के दो कैच नो बॉल पर हुए और एक कैच लेते वक्त जडेजा का पैर बाउंड्री को छू गया। यकीनन ये सब न होता तो भारत तमाम कमियों के बावजूद जीत जाता लेकिन सच यही है कि कोहली को हटा दें तो टीम इडिया सेमीफाइनल में भी न पहुंचती।
धोनी को सलाह
धोनी बहुत बड़े खिलाड़ी हैं। आज भी विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में उनके जैसा भारत में कोई नहीं। वो गजब के फिनिशर हैं। उनके संन्यास की बात अभी सोची नहीं जा सकती। लेकिन कप्तान के रूप में हर किसी का वक्त होता है जो उनका बीत चुका है। उनकी शैली की कप्तानी अब चल नहीं पा रही और पक्षपात का आरोप तो उन पर हमेशा से लगता रहा है। जब वो शानदार कप्तानी करते थे तब भी टीम में उनकी किचेन कैबिनेट थी जिसमें आरपी सिंह, सुरेश रैना जैसे लोग थे। श्रीनिवासन के दौर में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाडिय़ों के लिए टीम इंडिया में एंट्री आसान थी। इस सबका नुकसान ये होता है कि कई प्रतिभाओं के साथ अन्याय हो जाता है। रैना के चक्कर में मनीष पाण्डेय के साथ लगातार ज्यादती हुई है। जडेजा की वजह से किसी दूसरे स्पिन ऑलराउंडर को मौका नहीं मिलता। अब समय आ गया है कि सुनील गावस्कर और कपिल देव की तरह धोनी आखिरी के कुछ साल एक खिलाड़ी को रूप में सेवाएं दें। हालांकि भारतीय क्रिकेट को जिन उंचाइयों तक उन्होंने पहुंचाया है उसके लिए उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा।
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