- एनएचएम और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च की ओर से वर्कशॉप का आयोजन

LUCKNOW :

एनएफएचएस-4 के अनुसार ऐसी महिलाएं जिनके बच्चों के जन्म में तीन साल से कम अंतर है उनमें 62 फीसद खून की कमी से जूझ रहीं हैं। जबकि 61.6 फीसद बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन कम है। प्रदेश में होने वाले कुल प्रसव में 61.2 फीसद बच्चों के बीच यह अंतराल नहीं है। यह बात गुरुवार को परिवार कल्याण निदेशक बद्री विशाल ने कही। वे एनएचएम की ओर से आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे।

बचाई जा सकती है जान

एनएचएम की फैमिली प्लानिंग जीएम अल्पना शर्मा ने बताया कि बच्चों में अंतराल रखकर 32 फीसद महिलाओं और 10 फीसद बच्चों की जान बचाई जा सकती है। हर साल 11 हजार माताओं की जान जाती है जिसमें 3500 को बचाया जा सकता है। वहीं 2.3 लाख बच्चों की मौत होती है जिसमें हम 23 हजार को बचा सकते हैं।

23 फीसदी किशोरियां बनती हैं मां

केजीएमयू की गायनकॉलजिस्ट सुजाता देव ने बताया कि यूपी में 21 फीसदी बाल विवाह होते हैं। इनमें चार फीसद किशोरियां गर्भधारण करती हैं। 15 से 19 वर्ष की आयु की 23 फीसदी किशोरियां सिर्फ इसलिए मां बन जाती हैं क्योंकि उनके पास को गर्भ निरोधक विकल्प नहीं होते हैं।

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बच्चे पैदा करने में यूपी अव्वल

परिवार कल्याण के संयुक्त निदेशक वीरेंद्र सिंह ने बताया कि देश में कुल 145 जिले ऐसे चिन्हित किये गए हैं जहां सर्वाधिक बच्चे पैदा होते हैं। इसमें 57 जिले यूपी के हैं। यानी दूसरे राज्यों की तुलना में यूपी के लोग ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। इसलिए यहां जागरूकता की जरूरत है। हालांकि कानपुर समेत कुछ जिले ऐसे भी है जहां औसत से भी कम बच्चे पैदा होते हैं।