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VARANASI : दलालों की एक्टिविटी के लिए कुख्यात आरटीओ अपनी छवि बदलने और इस मुसीबत से निकलने के लिए लम्बे समय से संघर्ष कर रहा है। पारदर्शिता के लिए उसने पूरे सिस्टम को ऑनलाइन कर दिया है। लर्निंग लाइसेंस के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर वाहनों का टैक्स भरने तक का सारा काम ऑनलाइन हो गया है। इसके बाद भी दलालों से मुक्ति नहीं मिल सकी। उन्होंने अपनी कारस्तानी दिखा दी और आरटीओ की फर्जी वेबसाइट ही बना लिया। इसके जरिए लोगों को चुना लगाने लगे। तमाम लोग इस वेबसाइट पर ही डीएल के लिए रजिस्ट्रेशन करा हजारों रुपये गंवा चुके हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब लोग अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए परिवहन विभाग के ऑफिस पहुंचे। जब इस ठगी की खबर विभाग को हुई तो आनन-फानन में फर्जी वेबसाइट से बचाने के लिए हेड क्वार्टर की ओर से एडवाइजरी जारी की गयी।

इंटरनेशनल लाइसेंस भी

एक तरफ जहां ऑफिशियल वेबसाइट के थ्रू डीएल बनवाने के लिए डिस्ट्रिक्ट सेलेक्ट करना पड़ता है तो वहीं फर्जी वेबसाइट पर लर्निंग, नेशनल ही नहीं इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवाने का दावा किया जा रहा है। यही नहीं वेबसाइट पर कंडक्टर लाइसेंस, डीएल रीन्यूवल समेत सभी ऑप्शन दिए गए हैं। वहीं, वाहनों के रजिस्ट्रेशन के भी सभी ऑप्शन मौजूद हैं। वेबसाइट पर फिजिकल फिटनेस और मेडिकल सर्टिफिकेट भी देने के लिए विंडो दिया गया है।

पेमेंट पहुंच रहा हैकर के पास

फेक वेबसाइट बनाने वालों ने ऐसे-ऐसे दावे किए हैं जो ऑफिशियल वेबसाइट  पर नहीं हैं। लूपहोल को प्वाइंट आउट कर ठगों ने घर बैठे डीएल का रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर पहुंचाने का ठेका ले लिया है। वेबसाइट की टैगलाइन पर ही लिखा है कि ऑनलाइन आवेदन करें और घर बैठे डाक्यूमेंट प्राप्त करें। खास बात यह कि मेल व फीमेल के अलावा ट्रांसजेंडर (किन्नर) को भी डील बनाने की फेसिलिटी दी जा रही है। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऑनलाइन पेमेंट का विकल्प भी दिया जा रहा है। जिसमें पेमेंट करते ही वह पैसा वेबसाइट ऑपरेट कर रहे हैकर के पास चला जा रहा है। आवेदक को अपने साथ फ्रॉड होने की जानकारी तब हो रही है, जब वह ऑनलाइन टेस्ट के लिए आरटीओ पहुंच रहा है।

ताकि आसानी से फंस जाएं लोग

साइबर ठगों ने लोगों को झांसे में फंसाने के लिए वेबसाइट का नाम आरटीओ रख दिया। क्योंकि अधिकतर लोग ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को आरटीओ के नाम से ही जानते हैं। गूगल पर आरटीओ के नाम से ही वेबसाइट को सर्च करते हैं। बहुत कम लोगों को ही पता है कि विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट का नाम परिवहन है। यही वजह है कि ठगों ने विभाग की

वेबसाइट को आरटीओ डॉट ऑनलाइन डॉट काम (www.rtoonline.com) नाम दिया है।

मुख्य बात

200 लोग हो चुके हैं बनारस में ठगी के शिकार।

06 आवेदन हर रोज पहुंच रहा फर्जी वेबसाइट पर।

02 लोग हर रोज पहुंच रहे फर्जी वेबसाइट का शिकार होकर आरटीओ ।

50 हजार रुपये का चूना लगा चुके हैं हैकर।

डिपार्टमेंट के नाम पर फर्जी वेबसाइट से लोगों को ठगे जाने से बचाने के लिए अवेयर किया जा रहा है। इसके लिए विभाग की ओर से प्रमुख स्थानों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे।

आरपी द्विवेदी, आरटीओ, वाराणसी

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