- सप्तक्रांति एक्सप्रेस में सफर कर रहे पैसेंजर्स को बेच रहा था कंफर्म टिकट

- एक बड़े गिरोह की आशंका, सिसवा बाजार में बनवाता था टिकट

GORAKHPUR: कंफर्म टिकट के लिए पैसेंजर्स कुछ भी करने को तैयार है। इसी मजबूरी का फायदा उठाने के लिए कुछ दलाल पूरे देश में सक्रिय हो गए है। ये कंफर्म सीट के लिए तीन-चार गुनी रकम वसूल कर सीट बेचते हैं। ट्यूजडे को भी एक नया दलाल पकड़ा गया। वह चलती ट्रेन में कंफर्म टिकट बेच रहा था। टीटीई की होशियारी के कारण यह दलाल हत्थे चढ़ा लेकिन उसने जो कुछ बताया वह एक बड़े गिरोह की ओर इशारा कर रहे हैं।

यह है पूरा मामला-

आनंदविहार से मुजफ्फरपुर आ रही सप्तक्रांति एक्सप्रेस क्ख्भ्भ्8 में मुरादाबाद स्टेशन के बाद एस-क्0 को चेक करने के लिए जब टीटीई टीएन पांडेय पहुंचे तो सीट नंबर म्भ् पर एक व्यक्ति मिला। उसके पास एक टिकट पर तीन कंफर्म सीट थी। तीनों की उम्र ख्फ्,ख्8 और फ्7 साल थी। तीनों सीटों पर बैठे लोगों का टिकट आर कुमार, एस कुमार जैसे नामों से बुक था। जब टीटीई ने उससे आईडी प्रूफ मांगा तो उसने राहुल कुमार नाम का पैन कार्ड दिया। उसके साथ बाकी जो दो लोग सीट नंबर 7क् और 7ख् थे उनकी उम्र बहुत अधिक लगी तो टीटीई ने उनसे भी आईडी प्रूफ मांग लिया। इस पर राहुल ने बहस की। इतनी देर में ट्रेन में चल रहे बाकी टीटीई भी आ गए। सभी ने उन्हें आईडी प्रूफ दिखाने की बात कही तो सारा राज पर्दाफाश हो गया।

800 रुपए में बेची थी सीट-

सीट नंबर 7क् और 7ख् पर बैठे नंदकिशोर और लालचंद ने बताया कि उनके पास वेटिंग का टिकट था। राहुल हमारे पास आया और कहा कि मैं अकेला हूं। मेरे दो साथी नहीं आए है आप चाहो तो मैं कंफर्म सीट दे सकता हूं लेकिन आपको कुछ रुपए देने होंगे। लालचंद ने बताया कि मैंने म्00 और नंदकिशोर ने 700 रुपए देकर सीट ली हैं। इतनी देर में वहीं बैठे दुर्योधन शाह ने बताया कि सर, हमने भी राहुल को 800 रुपए दिए हैं। उसने मुझे सीट नंबर म्भ् बेचा है।

लखनऊ में उतर जाता था-

सप्तक्रांति में चल रहे टीटीई शार्दुल पांडेय, टीएन पांडेय, राकेश मिश्रा, अखिलेश मिश्रा, विजय श्रीवास्तव ने तुंरत राहुल को पकड़ लिया। उसके पास से म्कंफर्म टिकट और मिले। यह टिकट लगातार दिनों के थे। पूछने पर उसने बताया कि उसके पास हर दिन का एक टिकट है। हर टिकट में फ्-ब् कंफर्म सीट है। वह मुरादाबाद से चढ़ता था और वेटिंग या जनरल टि कट पैसेंजर्स को मोटी रकम में यह टिकट बेचकर लखनऊ उतर जाता था।

स्टाफ बनकर आता था वापस-

राहुल के पास एक एसी कोच अटैंड का कार्ड भी मिला.पूछने पर उसने बताया कि वह लखनऊ से लौटने के लिए इस कार्ड का उपयोग करता था। वह स्टॉफ बनकर मुरादाबाद वापस आता था। लखनऊ आने पर टीटीई ने राहुल को आरपीएफ के सुपुर्द कर दिया। बाद में गोरखपुर आरपीएफ को सौंप दिया गया। आरपीएफ के इंस्पेक्टर राजेश कुमार के मुताबिक राहुल के पास 9 अदद रेलवे आरक्षण मांग पत्र, विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, ब् अदद मोबाइल, सादा आरक्षण मांग पत्र और ख्,700 रुपए नगदी बरामद किया गया।

कहीं कोई बड़ा गिरोह तो नहीं-

्रजब राहुल के कंफर्म टिकट के बनाने की जगह निकाली गई तो वह गोरखपुर से क्00 किलोमीटर दूर सिसवां बाजार निकली। उसके पास से बरामद सारी टिकटें सिसवां बाजार के क ाउंटर नंबर एक से बनाई गई थी। ऐसे में सवाल खड़ा यह होता है कि आखिर सिसवां से टिकट मुरादाबाद कैसे जाता था।

वर्जन

चलती ट्रेन में टिकट बेचने वाले टिकट दलाल को पकड़ा गया है। जिसे आरपीएफ ने रेलवे एक्ट के तहत अरेस्ट कर जेल भेज दिया है।

अनिरुद्ध चौधरी, असिस्टेंट सिक्योरिटी कमिश्नर गोरखपुर एरिया