नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारत में आज बड़ी संख्या में टिक-टॉक यूजर्स है। 20 करोड़ से अधिक यूजर्स के साथ भारत टिक-टॉक के लिए सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि इन दिनों टिक-टॉक की बीजिंग स्थित पैरंट कंपनी बाइटडांस भारत सरकार की ओर से देश की सीमाओं के भीतर डेटा स्टोर करने के दबाव का सामना कर रही है। बाइटडांस ने बीते रविवार को कहा कि अब कंपनी भारत में एक डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है। एक नए डॉटा प्रोटेक्शन कानून को बनाने के लिए भारत की कोशिशों को मान्यता देने के लिए बाइटडांस ऐसा करके एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।

भारतीय यूजर्स का डेटा अमेरिका और सिंगापुर के सेंटर्स में रखा

कंपनी भारतीय सीमाओं के भीतर अपने भारतीय यूजर्स के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद सेवाओ के विकल्पों की जांच का प्राॅसेस चल रहा है।  बाइटडांस ने कहा भारत हमारे सबसे मजबूत बाजारों में से एक है। हम 15 भारतीय भाषाओं में डिजिटल इंडिया के मुख्य भाग का हिस्सा बनकर खुश हैं। भारत में हमारे प्लेटफॉर्म के लॉन्च के बाद से हमने अपने भारतीय यूजर्स के डेटा को अमेरिका और सिंगापुर के सेंटर्स में रखा है। हालांक हमें विश्वास है कि एक बड़ा स्टेप उठाने का सही समय आ गया है। बाइटडांस कंपनी के पास सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हेलो का मालिकाना हक भी है।

टिक-टॉक और हेलो के ऑपरेटर्स से कई सवालों के जवाब मांगे

टिक-टॉक की पैरंट कंपनी बाइटडांस को करीब 100 करोड़ डॉलर की लागत से डेटा सेंटर स्थापित करने में 6 से 18 महीने लग सकते हैं।  भारत में जिस तरह से टिक-टॉक यूजर्स तेजी से बढ़ रहे हैं उस तरह से हाल के कुछ महीनों में यहां इस ऐप ने कई विवादों को जन्म दिया है। इसकी वजह से इस पर कई बार बैन करने की भी मांग उठी है। हाल ही में इस संबंध में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने टिक-टॉक और हेलो के ऑपरेटर्स से कई सवालों के जवाब मांगे हैं। इसमें एक सवाल यह भी शामिल है कि क्या यह भारत में डेटा को स्टोर करने पर विचार कर रहा है।

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सोशल मीडिया प्लेटफार्मो का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में

साथ ही यह भी क्या 18 साल से कम आयु के यूजर्स को इस ऐप का इस्तेमाल करने से रोकेंगे। बता दें कि आरएसएस की शाखा स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने 17 जुलाई को पीएम को एक पत्र भेजकर कहा था कि इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मो का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। इसके बाद ऑपरेटर्स को इस संबंध में नोटिस भेजे गए थे। मंत्रालय ने चिंता जताते हुए स्पष्टीकरण मांगा था कि इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मो का इस्तेमाल करने के लिये बच्चों की न्यूनतम आयु 13 साल क्यों रखी गई है क्योंकि भारत में 18 साल से कम आयु वाले को बच्चा माना जाता है।

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