मय का मंत्र: अगर मानेंगे ये बात तो नहीं रूकेंगे आपके कोई काम 

परमहंस योगानंद। अब तक हमारे जीवन के बहुत सारे वर्ष बीत चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि जो दिन या वर्ष शेष बचे हैं, क्या हम उसे व्यर्थ में गंवा रहे हैं? यदि हां, तो समय नष्ट न करें। आपने हजारों बार पढ़ा-लिखा और सुना होगा कि समय अनमोल है। यह सौ प्रतिशत सच है। समय व्यर्थ न गंवाएं। जो सकारात्मक कार्य आपने जीवन में करना चाहते हैं, उसे कल पर टालने की बजाय आज कर लें। 

उदाहरण के लिए यदि आप ईश्वर की तलाश करना चाहते हैं, बाहर या अंतर्मन में, तो उस तलाश को पूरा करने की दिशा में बढ़ें या कर लें। जीवन एक चलचित्र के समान है। इस चलचित्र में कठिनाई यह है कि सभी असत्य सत्य प्रतीत होते हैं और सभी सत्य असत्य लगते हैं। 

भौतिक जगत वास्तविक नहीं
प्रत्येक रात्रि को निद्रा में हमारी चेतना से संसार को लुप्त कर दिया जाता है, ताकि हम यह समझ सकें कि भौतिक जगत वास्तविक नहीं है। निद्रा का यह पाठ हमें भयभीत करने के लिए नहीं, बल्कि ईश्वर की वास्तविकता की खोज करवाने के लिए है। 

स्वयं का विश्लेषण करें
स्वयं की उपस्थिति के प्रकाश में मन से सभी विषादों को दूर कर लें। विषाद पर सोच-विचार करने की बजाय स्वयं का विश्लेषण करें। साल की शुरुआत में आपने जो संकल्प लिए थे, क्या वे पूरे हो गए? क्या उन्हें पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण आपने उन्हें यूं ही मर जाने दिया? यदि ऐसा हुआ है, तो दोबारा दृढ़ संकल्प करें कि पुरानी गलतियां आगे नहीं दोहराएंगे।

स्वयं को बदलने का यही समय है
समय की योजना बनाएं। स्वयं को बदलने का यही समय है। जैसे ही आप स्वयं को बदलना शुरू करेंगे, आप देखेंगे कि आप व्यर्थ में समय बर्बाद करने की बजाय परम लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

परमहंस योगानंद। अब तक हमारे जीवन के बहुत सारे वर्ष बीत चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि जो दिन या वर्ष शेष बचे हैं, क्या हम उसे व्यर्थ में गंवा रहे हैं? यदि हां, तो समय नष्ट न करें। आपने हजारों बार पढ़ा-लिखा और सुना होगा कि समय अनमोल है। यह सौ प्रतिशत सच है। समय व्यर्थ न गंवाएं। जो सकारात्मक कार्य आपने जीवन में करना चाहते हैं, उसे कल पर टालने की बजाय आज कर लें। 

उदाहरण के लिए यदि आप ईश्वर की तलाश करना चाहते हैं, बाहर या अंतर्मन में, तो उस तलाश को पूरा करने की दिशा में बढ़ें या कर लें। जीवन एक चलचित्र के समान है। इस चलचित्र में कठिनाई यह है कि सभी असत्य सत्य प्रतीत होते हैं और सभी सत्य असत्य लगते हैं। 

भौतिक जगत वास्तविक नहीं

प्रत्येक रात्रि को निद्रा में हमारी चेतना से संसार को लुप्त कर दिया जाता है, ताकि हम यह समझ सकें कि भौतिक जगत वास्तविक नहीं है। निद्रा का यह पाठ हमें भयभीत करने के लिए नहीं, बल्कि ईश्वर की वास्तविकता की खोज करवाने के लिए है। 

स्वयं का विश्लेषण करें

अगर मानेंगे ये बात तो नहीं रूकेगा आपका कोई काम

स्वयं की उपस्थिति के प्रकाश में मन से सभी विषादों को दूर कर लें। विषाद पर सोच-विचार करने की बजाय स्वयं का विश्लेषण करें। साल की शुरुआत में आपने जो संकल्प लिए थे, क्या वे पूरे हो गए? क्या उन्हें पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण आपने उन्हें यूं ही मर जाने दिया? यदि ऐसा हुआ है, तो दोबारा दृढ़ संकल्प करें कि पुरानी गलतियां आगे नहीं दोहराएंगे।

स्वयं को बदलने का यही समय है

अगर मानेंगे ये बात तो नहीं रूकेगा आपका कोई काम

समय की योजना बनाएं। स्वयं को बदलने का यही समय है। जैसे ही आप स्वयं को बदलना शुरू करेंगे, आप देखेंगे कि आप व्यर्थ में समय बर्बाद करने की बजाय परम लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

 

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