-व‌र्ल्ड निमोनिया डे आज

-डायबिटीज के मरीजों को भी निमोनिया का खतरा

-टीबी और कैंसर के इलाज के बाद भी हो सकता है निमोनिया

RANCHI: निमोनिया बच्चों को सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी है। कुछ साल पहले तक इसे बच्चों की बीमारी ही कहा जाता था, लेकिन अब इसकी चपेट में युवा और बुजुर्ग भी आ रहे हैं। डायबिटीज और टीबी के मरीजों को भी यह आसानी से अपनी चपेट में ले रहा है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दवा कंपनियों ने निमोनिया के वैक्सीन मार्केट में उतारे हैं, जिसे हर उम्र के लोग लगवा सकते हैं। हालांकि, बच्चों को यह वैक्सीन जन्म के बाद ही लगा दिया जाता है। इसके बावजूद वातावरण में बदलाव निमोनिया को दावत दे रहा है। व‌र्ल्ड निमोनिया डे पर आई नेक्स्ट की खास रिपोर्ट

बढ़ जाता है खतरा

डॉक्टर्स की मानें, तो डायबिटीज और टीबी के मरीजों की इम्यूनिटी घट जाती है। ऐसे में उन्हें निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। टीबी की दवा खाने के दौरान भी मरीज निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं। कैंसर की दवा और कीमोथेरेपी के बाद मरीज को निमोनिया हो जाता है।

आसान है पहचान

डॉक्टरों ने बताया कि वातावरण में बदलाव की वजह से लोगों इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। लोगों का लिविंग स्टाइल और खानपान भी इसके लिए जिम्मेवार है। इस वजह से शरीर में बैक्टिरिया और वायरस से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। वहीं, निमोनिया का बैक्टिरिया इंसान के शरीर में अपना विस्तार करने लगता है और उसे बीमार कर देता है। इस वजह से निमोनिया के केसेज बढ़ गए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। इसमें सबसे कॉमन बुखार है। सर्दी और खांसी लगातार हो रही है तो यह निमोनिया हो सकता है। चेस्ट में पेन और सांस लेने में तकलीफ भी इसके लक्षण हैं। ऐसे में देर न करते हुए मरीज को तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

निमोनिया बैक्टिरियल-वायरल बीमारी है। लोगों में जैसे ही रोगों से लड़ने की क्षमता घटती है। निमोनिया के वायरस अटैक करते हैं और उसे बीमार बना देते हैं। इससे बचने के लिए लोगों को अपने रहन-सहन और डायट को लेकर सजग रहने की जरूरत है।

डॉ। विमलेश, फिजिशियन