RANCHI : रिम्स में मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हाईटेक गाडि़यां मंगाई गई हैं, जिसमें कार्डियक एंबुलेंस से लेकर बड़े एंबुलेंस वैन और माच्र्युअरी वैन भी शामिल हैं। लेकिन इन सरकारी गाडि़यों से जरूरतमंदों को सर्विस देने के लिए चालकों की अब तक बहाली ही नहीं हो पाई। लिहाजा इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें इमरजेंसी में सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। गाडि़यों के यहां खड़ी खड़ी रहने से उनके खराब होने का अंदेशा भी बढ़ गया है।

सरकारी दर पर नहीं मिलतीं

हॉस्पिटल में मरीजों की डिमांड पूरी करने के लिए जो सरकारी गाडि़यां आई हैं उनके हिसाब से तीन शिफ्ट्स में ड्राइवरों की जरूरत है। लेकिन ड्राइवर न होने का हवाला देकर एंबुलेंस व अन्य गाडि़यां नहीं दी जाती। ऐसे में मरीज परेशान हो रहे हैं। अस्पताल में एंबुलेंस होने के बावजूद उन्हें सरकारी दर पर गाडि़यां नहीं मिल पाती हैं।

रेट तय न होने से भी नहीं हिले चक्के

अस्पताल में हर दिन इलाज के दौरान दर्जनों मरीजों की मौत हो जाती है। ऐसे ही शवों को सस्ते दरों पर घर तक ले जाने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से रिम्स को छह माच्र्युअरी वैन दिए गए हैं। लेकिन आज तक इन गाडि़यों का परिचालन शुरू नहीं हो सका है। वहीं नया रेट निर्धारण नहीं होने के कारण भी ये गाडि़यां खड़े-खड़े खराब होने के कगार पर पहुंच रहीं हैं

सफेद हाथी बनीं कार्डियक एंबुलेंस

हॉस्पिटल में चार कार्डियक एंबुलेंस हैं। इनमें इमरजेंसी से निपटने की सारी सुविधाएं मौजूद हैं। इसके अलावा दो बड़ी एंबुलेंस पावर ग्रिड की ओर से उपलब्ध कराई गई हैं। लेकिन ये सभी गाडि़यां सिर्फ शोपीस बनकर रह गई हैं। केवल वीआईपी मूवमेंट के लिए निकलती हैं। इसके बाद उन्हें वापस गैराज में बंद कर दिया जाता है। बीच-बीच में नए सामान और इक्विपमेंट्स लगाने के लिए भी इन्हें बाहर निकाला जाता है। इस पर प्रबंधन काफी पैसे भी खर्च करता है। लेकिन असल में जिनके लिए ये गाडि़यां मंगाई गई हैं। ऐसे में ये केवल सफेद हाथी बनकर रह गई हैं।