नई दिल्ली (एएनआई)। भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी और मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद ने गुरुवार को चल रहे टोक्यो ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीतने के लिए पुरुष हॉकी टीम को बधाई दी। भारत को ओलंपिक में मेडल जीतने में 41 साल लगे, लेकिन हर भारतीय का सपना आखिरकार गुरुवार को साकार हो गया क्योंकि पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर यहां ओई हॉकी स्टेडियम - नॉर्थ पिच में कांस्य पदक जीता।

वर्ल्ड हाॅकी में सेट किया उदाहरण
अशोक ने एएनआई को बताया, "यह मैच विश्व हॉकी में एक उदाहरण के रूप में देखा जाएगा, मैंने लंबे समय से ऐसा मैच नहीं देखा है। दुनिया भर के कोचिंग सेंटर सभी को इस खेल को देखने के लिए मजबूर करेंगे, मैच की गुणवत्ता शीर्ष पर थी। 41 साल बाद, हमने एक पदक जीता है। सरकार ने हर खेल के प्रति समर्थन दिखाया, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी टीम की तारीफ की।'

भारतीय हाॅकी का पुराना दौर लौटा
भारत ने पिछली बार ओलंपिक में हॉकी पदक 1980 में जीता था, जब देश ने अपना आखिरी स्वर्ण पदक जीता था। इसके साथ, भारतीय दल ने टोक्यो ओलंपिक (मीराबाई चानू, लवलीना बोरगोहेन, पीवी सिंधु, रवि दहिया, भारतीय पुरुष हॉकी टीम) में अपना 5 वां पदक दर्ज किया है और कुल मिलाकर ओलंपिक में भारत द्वारा पुरुषों की फील्ड हॉकी में जीता गया 12 वां ओलंपिक पदक है। बता दें ओलंपिक में भारतीय हाॅकी ने पहले आठ बार गोल्ड मेडल जीता है।