-विपक्षी दलों ने अलग-अलग मोर्चा खोला, आदिवासी सेंगल अभियान ने की बंद की घोषणा

-झामुमो ने 24 घंटे का अल्टीमेटम देकर कहा, सरकार स्पष्ट करे स्थिति

-कांग्रेस, झाविमो और राजद ने भी जताई आपत्ति, आंदोलन की चेतावनी

रांची : भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद झारखंड की राजनीति में उबाल आ गया है। तमाम विपक्षी दलों ने अपने-अपने स्तर पर मोर्चा खोल दिया है लेकिन इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि आनेवाले दिनों में सभी विपक्षी दल एक ही मंच पर दिखें। बहरहाल, कल 18 जून को झारखंड बंद का आह्वान किया गया है। आदिवासी सेंगेल अभियान ने इसके खिलाफ सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है। अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने सभी विपक्षी दलों को इस मसले पर एक मंच पर आह्वान किया है। सोमवार को ही झारखंड मुक्ति मोर्चा इस मुद्दे पर बैठक कर आगे की रणनीति बनाएगा।

रुख स्पष्ट करें

झामुमो ने इस मुद्दे पर सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार बिल के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करे। यह राज्य के लिए ज्वलंत मुद्दा है, उनकी पार्टी सहित पूरे विपक्ष ने इसके खिलाफ आंदोलन किया है। गुरुजी के नेतृत्व में विपक्षी दल राष्ट्रपति से मिले और इस पर सहमति नहीं देने की गुहार लगाई थी। सरकार को इस बिल को बिना शर्त उसी तरह से वापस लेना चाहिए, जैसे विपक्षी दलों के आंदोलन के बाद सीएनटी व एसपीटी एक्ट के संशोधन को सरकार ने वापस ले लिया था। हेमंत सोरेन ने कहा कि अगर सरकार 24 घंटे के अंदर इस बिल पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तो 18 जून को उनके आवास पर सभी विपक्षी पार्टियों व सामाजिक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जहां पर इस बिल के खिलाफ आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। विधेयक को लेकर कांग्रेस, झाविमो, राजद, वामदल और आदिवासी संगठनों ने विरोध जताया है।

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भाजपा ने विपक्ष को बताया विकास विरोधी

रांची : प्रदेश भाजपा ने भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए उन्हें विकास विरोधी बताया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर जनता को बरगला रहा है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन कॉरपोरेट नहीं, बल्कि स्कूल-अस्पताल जैसी सरकारी योजनाओं पर लागू होगा। प्रभाकर ने कहा कि राज्य सरकार ने संसद द्वारा 2013 में पारित भूमि अधिग्रहण कानून के मुआवजे और पुनर्वास के मूल प्रावधान में कोई बदलाव नहीं किया है। नए प्रस्ताव से ग्राम सभा की सलाह लेते हुए एक समय सीमा में सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण तथा चार गुना मुआवजा प्रदान करने का कार्य संभव हो पाएगा। इससे प्रभावितों को न्याय मिल पाएगा, विकास की गति तेज होगी और उस क्षेत्र के निवासियों का आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान होगा।