लंदन (एएफपी)। सीमित ओवरों के क्रिकेट में मौसम से प्रभावित मैचों में डकवर्थ लुईस का नियम देने वाले टोनी लुईस का 78 साल की उम्र में निधन हो गया है। इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने बुधवार को इसकी घोषणा की। बयान में कहा गया, "यह दुख की बात है कि ईसीबी टोनी लुईस के निधन की सूचना दे रहा है। टोनी ने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ, डकवर्थ-लुईस नियम को तैयार किया जो 1997 में आईसीसी (अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) द्वारा आधिकारिक रूप से अपनाया गया था। 2014 में इसे डकवर्थ-लुईस-स्टर्न विधि का नाम दिया गया, दुनिया भर में सीमित सीमित ओवरों के क्रिकेट खेलों में इसी गणितीय फॉर्मूला का उपयोग होता है।' लुईस को 2010 में क्रिकेट और गणित के लिए अपनी सेवाओं के लिए एमबीई (मेंबर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) मिला। ईसीबी ने कहा कि क्रिकेट टोनी और फ्रैंक के खेल में योगदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा। हम टोनी के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं।

कब बना डकवर्थ लुईस का नियम

डकवर्थ लुईस का नियम साल 1992 में विश्वकप सेमीफाइनल में वर्षा प्रभावित मैच के बाद आया। उस मुकाबले में अफ्रीका को जीत के लिए 13 गेंदो में 22 रन बनाने थे तभी अचानक बारिश आ गई। फिर स्कोर और ओवर के कैलकुलेशन के हिसाब से अफ्रीका को जीत के लिए 1 गेंद में 22 रन का लक्ष्य मिला। उस वक्त इस नियम की खूब आलोचना हुई। फिर कुछ सालों बाद डकवर्थ लुईस नियम आया जिसे आईसीसी ने मान्यता दी।

अब इसी नियम का होता है उपयोग

साउथ अफ्रीका-इंग्लैंड सेमीफाइनल मैच में कुछ गणितीय समस्या थी जिसे डकवर्थ के साथी सांख्यिकीविद् स्टीवन स्टर्न ने कई वर्षों बाद सूत्र को संशोधित करने में मदद की। उन्होंने कहा: "मुझे याद है रेडियो पर क्रिस्टोफर मार्टिन-जेनकिंस ने कहा कि 'निश्चित रूप से कोई, कहीं न कहीं कुछ के साथ आ सकता है। मुझे जल्द ही पता चला कि यह एक गणितीय समस्या थी जिसे गणितीय समाधान की आवश्यकता थी।' इसके बाद डकवर्थ लुईस नियम की उत्पत्ति हुई। अब यह नियम सभी सीमित ओवरों के मैच में बारिश होने पर उपयोग किया जाता है, हालांकि कुछ एक्सपर्ट इसे टी-20 में सही नहीं मानते हैं, मगर इस समय आईसीसी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

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