जानें उन धार्मिक नेताओं के बारे में जिन्‍होंने राजनीति में भी कमाया नाम
योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं और लोक सभा में गोरखपुर को 1998 से रिप्रेसेंट कर रहें हैं। आदित्यनाथ गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मठ मंदिर के महंत हैं। वो अपने पिता महंत वैध्यनाथ को फॉलो कर रहे हैं जिनका देहांत सितंबर 2014 में हो गया था। यही नहीं आदित्यनाथ हिंदु यूवा वहिनी के फाउंडर हैं। ये एक सोशल, कल्चरल और नैशनलिस्ट ग्रुप है जिससे कई यूवा जुड़े हुए हैं।
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साक्षी महाराज
59 साल के साक्षी महाराज लोकसभ एमपी हैं और ये उनका चौथा चरण है। ये सबसे पहले मथुरा से चुने गए थे। इसके बाद वो दो बार फरूखाबाद से चुने गए। ये लोथ कम्यूनिटी से बिलॉन्ग करते हैं और सबसे सशक्त ओबीसी लीडर के तौर पर जाने जाते हैं। 1999 में इन्होंने बीजेपी पार्टी छोड़ दी थी लेकिन फिर दोबारा इस पार्टी से जुड़ गए थे। साक्षी महाराज निर्मल पंचायती अखाड़ा के आर्चाय महामंडेलेशवर हैं।
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निरंजन ज्योती
ये साधवी निरंजन ज्योती नाम से ज्यादा फेमस हैं और भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हुई हैं। नवंबर 2014 में इनको फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज का मिनिस्टर ऑफ स्टेट (MoS) का पदभार दिया गया था। 2014 जनरल इलेक्शन जीत कर वो लोकसभा में फतेहपुर को रिप्रेसेंट करती हैं। यही नहीं 2012 इलेक्शन जीतने के बाद साध्वी निरंजन ज्योती उत्तर प्रदेश लेजिस्लेटिव एसेंबली में हमीरपुर डिस्ट्रिक्ट को रिप्रेसेंट करती हैं।
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स्वामी अग्निवेश
ये एक भारतीय पॉलिटिशियन हैं जो हरयाणा में लेजिस्लेटिव एसेंबली के मेंमबर थे। आर्य समाज के प्रचारक स्वामी अग्निवेश का 1980 बॉन्डेड लेबर में काफी अहम रोल था। तब ही वो लाइमलाइट में भी आए थे। संयुक्त राष्ट्र के लिए भी इन्होंने काम किया है और बाद में इनको वर्ल्ड काउंसिल ऑफ आर्य समाज का प्रेसीडेंट भी बना दिया गया था।
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ऊमा भारती
क्या आपको पता है उमा भारती पॉलिटिक्स ज्वाइंन करने के बाद साधवी बनी थीं। बचपन से ही उमा भारती को धार्मिक ग्रंथ पढ़ने अच्छे लगते थे। काफी छोटी सी उम्र में उन्होंने भगवत गीता पढ़ना शुरू कर दिया था और उसी दौरान वो राजमाता विजयाराजे सिंधिया के संपर्क में आई थी जों बाद में उनकी पॉलिटिकल मेंटर भी बन गई थीं। यूवावस्था में ही उमा भारती बीजेपी से जुड़ गई और पार्टी के लिए काम किया करती थीं। 1984 में उन्होंने अपना पहला संसदीय चुनाव लड़ा था जो वो हार गई थीं। इसके बाद 1989 में उन्होंने खजुराहो सीट पर चुनाव लड़ा था जिसमें उनको सफलता हाथ लगी थी। 1991, 1996 और 1998 चुनाव में भी उनको जीत हासिल हुई थी और वो इस सीट पर बरकरार रहीं। 1999 में उमा भारती ने अपना चुनावी क्षेत्र बदल लिया था और भोपाल की सीट जीती थी। बता दें कि उमा भारती मध्यप्रदेश
की मुख्यमंत्री भी रह चुकीं हैं।
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बदरुद्दीन अजमल
यह असम से संसद के सदस्य हैं। बदरुद्दीन अजमल ने एआईयूडीएफ ( ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ) पार्टी का गठन किया है और उसकी मदद से वो असम की राजनीति को अपने तरीके से चलाने का ख्वाब देख रहें हैं। दारुल उलूम देवबंद से इस्लामी धर्मशास्त्र में इन्होंने डिग्री हासिल कर रखी है। मौलाना अजमल अब प्रमुख और प्रभावशाली इस्लामी मदरसा दारुल उलूम की सलाहाकार समिति के मेंमबर हैं।

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