संगम की रेती पर देश की ऐतिहासिक व धार्मिक विरासत की कराई जाएगी अनूठी चित्रकारी
कुंभ की भव्यता के लिए पर्यटन विभाग की अनोखी पहल
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ALLAHABAD: अपने देश में ऐतिहासिक महत्व की चीज हो या धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों के बारे में जनमानस को तो जानकारी मिलती ही रहती है। सात समुंदर पार से आने वाले विदेशियों को उसका आकर्षण देखने के लिए अलग-अलग प्रांतों में जाना पड़ता है। लेकिन संगम की रेती पर अगले वर्ष लगने जा रहे कुंभ मेला में विदेशी सैलानियों को यह सब एक ही जगह दिखाई देगा। कुंभ की भव्यता से सैलानियों को रूबरू कराने के लिए पर्यटन विभाग ने अनोखी पहल की है। इसके लिए वीवीआईपी शिविरों से लेकर आम शिविरों में भी टेंट पर अनूठी चित्रकारी कराई जाएगी।
नदियां, मंदिर होंगे और होगी विरासत
देश में अनगिनत ऐसे महत्वपूर्ण स्थल हैं जिन्हें हर कोई देखना चाहता है। उड़ीसा का कोणार्क मंदिर, बनारस का काशी विश्वनाथ, तमिलनाडु का रामेश्वरम मंदिर, आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर व गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर हू-ब-हू चित्रकारी कराई जाएगी। जबकि गंगा सागर, गंगा, यमुना, कावेरी व गोदावरी जैसी नदियों की भव्यता का भी एहसास चित्रकारी से कराए जाने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा नई दिल्ली के लाल किले व अजंता की गुफा को भी इस योजना में शामिल किया गया है।
एजेंसी से चल रही बात
आमतौर पर संगम की रेती पर सामान्य से दिखने वाले तम्बू का ही नजारा दिखाई देता है लेकिन कुंभ मेला में लगाए जाने वाले शिविरों में तम्बू अलौकिक रूप में होगा। शिविरों में कराई जाने वाली चित्रकारी में तम्बू का स्वरूप क्या होगा उस पर कैसे चित्रकारी कराई जाएगी। इन सबके लिए क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय की ओर से कई एजेंसियों से बातचीत की जा रही है। वहीं इसका प्रस्ताव बनाकर लखनऊ स्थित मुख्यालय को भी भेज दिया गया है।
कुंभ है तो इसकी भव्यता के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। विदेशी सैलानियों को हमारे देश में स्थित ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के स्थलों को एक ही जगह दिखाने की योजना बनाई गई है। चित्रकारी के जरिए शिविरों को मूर्त स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
अनुपम कुमार श्रीवास्तव, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी
लोग बोले अच्छा है
बहुत अच्छी बात है। इससे बाहर से आए हुए लोगों को यहां की सांस्कृतिक धरोहरों को समझने और देखने का मौका मिलेगा। धार्मिक पर्व में आस्था, धर्म व कला से रूबरू कराने के लिए अच्छी पहल है।
-नीरा त्रिपाठी
बहुत ही सराहनीय कदम है। धार्मिक व सांस्कृतिक कृतियों को पब्लिक प्लेस पर दिखाने में कोई कमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऐसी कृतियां हमारी धरोहर है।
-वकील यादव
सरकार का यह कदम अति सराहनीय है। भारतीय संस्कृति का प्रचार विदेशों में भी कराने का यह एक नया नजरिया है। इसका सीधा असर विदेशों से आने वाले टूरिस्ट पर भी पड़ेगा।
-अमन शर्मा
जब सीएम योगी जी हों तो ऐसा होना आवश्यक था। इस देश में बहुत से ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व की धरोहर है। इसी बहाने विदेशियों को हमारी संस्कृति समझ में आएगी।
-विवेक गोंड