- गोरखपुर में है 42 चौराहे और 37 तिराहे

- केवल तीन से चार चौराहे पर लगती है यातायात पुलिस की ड्यूटी, बाकी रामभरोसे चल रही ट्रैफिक व्यवस्था

- बिना सिग्नल के चौराहों के कारण आए दिन होते हैं एक्सीडेंट, लगता है जाम

GORAKHPUR: रोड पर जिंदगी के साथ मौत भी दौड़ती है, बस एक चूक और लापरवाही किसी के हरे-भरे परिवार को उजाड़ सकती है। शायद केंद्रीय मंत्री मुंडे की मौत के बाद पूरा देश यही बात कर रहा है। उनका एक्सीडेंट क्यों हुआ इसकी जांच भी शुरू हो गई है। लेकिन हमारे सिटी के चलने का कुछ और ही अंदाज है। यहां एक्सीडेंट होता है तो ट्रैफिक पुलिस और पब्लिक एक दूसरे पर दोषारोपण कर आगे बढ़ जाती है। जांच होना तो दूर की बात कोई भी एक्सीडेंट के पीछे के कारण को कभी जानने की कोशिश तक नहीं करता है, लेकिन ट्यूज्डे को मुंडे की मौत ने पूरे देश की ट्रैफिक व्यवस्था पर एक सवाल खड़ा कर दिया है। इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए आई नेक्स्ट की टीम ने सिटी के पांच महत्वपूर्ण चौराहे पर पूरा एक दिन बिताया और तैयार की एक ऐसी रिपोर्ट जिसे पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे।

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प्लेस- यूनिवर्सिटी चौराहा

टाइम- दोपहर क्ख्.फ्0 बजे

आई नेक्स्ट टीम जब इस चौराहे पर पुहंची तो ट्रैफिक जाम था। टीम ने पुलिस को तलाशना शुरू किया तो नजर आया चौराहे पर बना एक पुलिस बूथ। टीम वहां पहुंची तो वहां कोई नहीं मिला। इसके बाद टीम जाम का कारण तलाशने निकली तो नजर आई यूपी-भ्फ् बी.टी-क्भ्00 नंबर की बस। यह बस चौराहे पर ही सवारी भरने में लगी हुई थी। जिसके कारण पीछे वाहनों की एक लंबी कतार लग गई थी। बीच राह में खड़ी इस बस के कारण कुछ टू व्हीलर गलत साइड से निकल रहे थे। इस दौरान दो टू व्हीलर्स एक्सीडेंट होते-होते भी बचे। इसी बीच चौराहे पर एक स्कॉर्पियो यूपी-भ्फ् -9क्9क् के फंसने के चलते काफी देर तक जाम की स्थिति बनी रही।

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प्लेस- रेलवे स्टेशन चौराहा

टाइम- दोपहर क्ख्.ब्भ् बजे

जब टीम इस चौराहे पर पहुंची तो यहां न तो ट्रैफिक सिग्नल मिले और न ही कोई ट्रैफिक कंट्रोलर। रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टैण्ड के चलते चारों तरफ से ट्रैफिक मूव कर रहा था। चौराहे की चौड़ाई कम होने के चलते कई बार बसों के मुड़ने के दौरान जाम की स्थिति बनी। चौंकाने वाली बात तब हुई जब फैजाबाद डिपो की यूपी म्0 टी ख्8भ्7 नंबर बस मोड़ में फंस गई और लंबा जाम लग गया। रेलवे स्टेशन की तरफ से आने वाली गाड़ी और ट्रैफिक ऑफिस की तरफ से जाने वाली गाड़ी और बस स्टैण्ड की तरफ से आने वाली गाडि़यां आमने-सामने खड़ी हो गई। न कोई सिग्नल और न ही ट्रैफिक कंट्रोलर के चलते हर कोई जल्दबाजी में गाड़ी निकालने के लिए एक दूसरे से लड़ रहा था।

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प्लेस- काली मंदिर चौराहा

टाइम- दोपहर क्.क्0 बजे

असुरन और गोलघर के साथ पुलिस लाइन की तरफ से आने वाली रोड को जोड़ने वाले काली मंदिर चौराहे पर ट्रैफिक का कोई कंट्रोल नहीं था जबकि इस चौराहे पर हर मिनट सैकड़ों गाडि़यां गुजरती हैं। जब टीम यहां पर पहुंची तो जाम जैसी स्थिति थी। एक ट्रैफिक पुलिस की तैनाती तो थी लेकिन वह चिलचिलाती धूप की वजह रोड किनारे खड़ा तमाशबीन बना जाम को हटाने की जगह देख रहा था।

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प्लेस - फिराक गोरखपुरी चौराहा

टाइम - दोपहर क्.फ्0 बजे

बेतियाहाता और अम्बेडकर चौराहे को जोड़ने वाला यह चौराहा कई मायने में महत्वपूर्ण है। टीपी नगर और सिविल लाइन से बेतियाहाता आने-जाने के लिए लोग भी इसी चौराहे से होकर गुजरते हैं। जब टीम यहां पहुंची तो हर क्0 मिनट में चौराहे से करीब चालीस से पचास फोर व्हीलर गुजरती दिखी, लेकिन चौराहे पर न तो ट्रैफिक सिग्नल लाइट है और न ही ट्रैफिक कंट्रोलर। बिना सिग्नल लाइट और कंट्रोलर के यहां फोर व्हीलर एक दूसरे से टकरा रही थी।

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प्लेस- शास्त्री चौक

टाइम- दोपहर क्.भ्0 बजे

सिटी का सबसे महत्वपूर्ण और खास चौराहा माना जाता है शात्री चौक। चौराहों के चारों तरफ सरकारी दफ्तर से लेकर कॉमर्शियल ऑफिस मौजूद है। यहां हर क्0 मिनट में करीब क्00 से ज्यादा प्राइवेट और कॉमर्शियल व्हीकल गुजरते हैं, लेकिन न तो यहां कोई ट्रैफिक सिग्नल है और न ही टै्रफिक कंट्रोलर। जब टीम शास्त्री चौराहे पर पहुंची तो वहां रोड के बीचों बीच यूपी-भ्फ् बीडी-ख्9फ्0 नंबर की स्कॉर्पियो खड़ी थी। जब टीम इस वाहन के पास पहुंची तो पता चला कि चालक गाड़ी को बीच चौराहे पर लॉक कर गायब था। जब टीम ने इसकी जानकारी रोड किनारे खड़े ट्रैफिक सिपाहियों को दी तो वे भी गाड़ी पर लगे सपा के झंडे को देख लौट गए। आधे घंटे तक बीच चौराहे पर खड़े इस वाहन के कारण कई बार जाम लगा तो कई बार छोटे एक्सीडेंट तक हुए।

ये है चौंकाने वाले आंकड़े-

- सिटी में कुल ब्ख् चौराहे और फ्7 तिराहे हैं, लेकिन ट्रैफिक ड्यूटी सिटी के मात्र तीन से चार चौराहे पर लगती है।

- कहने के लिए सिटी के दर्जन भर से ज्यादा चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल है लेकिन हकीकत में दो से तीन चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल काम कर रहे।

-अधिकतर चौराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल या तो बंद है या फिर गलत सिग्नल फ्लैश करते हैं।

एक्सीडेंट एक नजर में

- एक साल में रोड एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या- ख्भ्0

- एक साल में रोड एक्सीडेंट में घायलों की संख्या- म्00

- एक्सीडेंट में घायल होने के बाद मौत की संख्या- क्भ्0

नोट : यह सरकारी आंकड़े हैं लेकिन हकीकत में यह संख्या चार गुना से अधिक है, जो मामले कभी सरकारी कागजों में नहीं आते।