एनसीआर में हर महीने होता है 50-60 लाख का अवैध कलेक्शन

पूरे एनसीआर में ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर अवैध वेंडिंग का ठेका उठाता है इंस्पेक्टर

ALLAHABAD: सीबीआई ने जांच तो आरपीएफ के एक इंस्पेक्टर के खिलाफ शुरू की है, लेकिन इस कार्रवाई व जांच से रेलवे और आरपीएफ के कई बड़े अधिकारियों की धड़कन बढ़ गई है। सीबीआई अगर इंस्पेक्टर के अवैध साम्राज्य के तह तक पहुंची और इंस्पेक्टर ने मुंह खोल दिया तो एनसीआर में हर महीने चल रहे लाखों रुपये के अवैध वसूली और ट्रांसफर पोस्टिंग के साथ ही अवैध वेंडिंग के खेल से पर्दा उठ जाएगा।

सभी को पता है इंस्पेक्टर का सच

कुछ सच ऐसे होते हैं, जिसकी जानकारी सभी को होती है। पीठ पीछे उस सच की चर्चा भी होती है। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। रेलवे में भी कुछ ऐसा ही है। मलाईदार रेलवे स्टेशन पर ट्रांसफर पोस्टिंग का मामला हो या फिर अवैध वेंडिंग के लिए रेलवे स्टेशनों का ठेका, ये सारा काम होता है। हर एक स्टेशन को अवैध वेंडिंग के लिए लाखों रुपये में नीलाम किया जाता है। एनसीआर में भी यह खेल वर्षो से चल रहा है। इलाहाबाद से लेकर कानपुर तक, कानपुर से लेकर फतेहपुर, झांसी, टुंडला, आगरा तक के सभी स्टेशनों के अवैध वेंडिंग का ठेका होता है। ट्रांसफर पोस्टिंग का भी खेल जारी है। जिसके जरिये हर महीने करीब 40 से 50 लाख रुपये वसूला जाता है, जो कई दरबार तक पहुंचता है।

इंस्पेक्टर ही चलाता था पूरा नेटवर्क

जिस इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच शुरू हुई है, उसकी पहुंच कई बड़े अधिकारियों तक बताई जा रही है। जिसके खिलाफ कार्रवाई करने से भी अधिकारी कतराते हैं। इलाहाबाद से हटाने का आदेश होने के बाद भी कई वर्षो तक यहीं डटा रहा। पूरे एनसीआर में अपना नेटवर्क फैलाने और अवैध वसूली के कारोबार को संभालने के लिए ही इंस्पेक्टर ने अपना कारखास रख रखा था। इंस्पेक्टर का कारखास ही तय करता है कि किस स्टेशन पर अवैध वेंडिंग का रेट कितना लगता है। संबंधित इंस्पेक्टर कारखास की स्वीकृति के बगैर अवैध वेंडिंग नहीं करा सकते हैं।

अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप

जिस इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच शुरू हुई है, उस पर इलाहाबाद में शातिर अपराधियों को संरक्षण देने का भी आरोप लग चुका है। करीब आठ-दस वर्ष पहले इलाहाबाद में तैनाती के दौरान इंस्पेक्टर पर शातिर अपराधियों को हल्की धाराओं में जेल भेज कर संरक्षण दिए जाने का आरोप लगा था। इस मामले की भी जांच का आदेश हुआ था।