Agency: अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडर नागरिकों की सेवा पर रोक लगाने की बात कर प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप विवादों में घिर गए हैं। अमेरिकी सेना के पांच सेवारत ट्रांसजेंडर सैनिकों ने उन पर मुकदमा ठोक दिया है। यह मुकदमा बुधवार को पांच अनाम सैनिकों की ओर से दो एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर) समूहों ने कोलंबिया की अदालत में दायर किया।

 

क्या दी दलील?
इसमें उन्होंने दलील दी है कि इस संबंध में प्रेसीडेंट के ट्वीट उनके संवैधानिक अधिकारों को धक्का पहुंचाने वाले हैं। ह्वाइट हाउस की ओर से हालांकि अभी तक इस पर कोई ठोस नीति जारी नहीं की गई है। इस बारे में पूछे जाने पर ह्वाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने कहा कि कानूनी तरीके से नीति लागू करने के लिए रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया जाएगा।

 

क्या था ट्रंप का मानना?
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने 26 जुलाई को कई ट्वीट कर बताया था कि सेना के जनरलों और सैन्य विशेषज्ञों से बातचीत के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ट्रांसजेंडर नागरिकों को अमेरिकी सेना के किसी भी पद के लायक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा था, 'हमारी सेना को उत्साहपूर्ण विजय अभियानों की ओर ध्यान देना चाहिए। हमें किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी बाधाओं का बोझ उठाने की जरूरत नहीं है। ट्रांसजेंडर कर्मी आगे बढऩे में रुकावट की तरह हैं।

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15 हजार ट्रांसजेंडर सैनिक
यूसीएलए स्कूल ऑफ लॉ के विलियम्स इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि अमेरिकी सेना में 15 हजार से अधिक ट्रांसजेंडर सैनिक हैं। पॉम सेंटर के अनुसार, इनकी जगह दूसरे सैनिकों की भर्ती में 96 करोड़ डॉलर (करीब 6100 करोड़ रुपए) खर्च आने का अनुमान है।

 

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