-आम आवाज संस्थापक फहीमा यासमीन ने प्रेस कॉफ्रेंस में हलाला को बताया जायज

-निदा खान और फरहत नकवी के खिलाफ भी खोला मोर्चा, बोला महिलाओं को बरगला रहीं हैं

BAREILLY: बरेली में पिछले काफी दिनों से इस्लाम शरीयत को तोड़ मरोड़कर कुछ महिलाएं ओछी राजनीति कर रही है। वह किसी महिला की मदद न कर, अपनी राजनीति चमका रही हैं। यह कहना है आम आवाज संस्थापक फहीम यासमीन का। फहीमा ने संडे को मठ चौकी एरिया में अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में की। उनके निशाने पर निदा खान और फरहत नकवी रहीं। फहीमा ने हलाला को जायज बताया है।

ट्रिपल तलाक के खिलाफ

फहीमा ने बताया कि मुस्लिम महिला को तलाक देने के बाद पहले पति से दोबारा निकाह करने से पहले की जाने वाली रस्म हलाला है। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को एक साथ ट्रिपल तलाक देने का भी विरोध करते हुए कहा कि इस्लाम में यह मना और हराम है। यदि पति-पत्‍‌नी में झगड़ा हो जाए तो दोनों पक्षों के लोग समझौते की कोशिश करें। यदि फिर भी पति-पत्‍‌नी दोनों ने तलाक का फैसला कर लिया हो तो पहले एक बार तलाक दें। इसके लिए एक महीने का वक्त दिया जाता है और पत्‍‌नी, पति के घर रहती है। ताकि सुलह की बात बन जाए। इसी तरह से तीन बार तलाक का तीन महीने का समय बनाया गया है। तब तक पत्‍‌नी को ससुराल से निकाला न जाए।

मर्दो को दी जाने वाली सजा है हलाला

फहीमा ने बताया कि हलाला इस्लाम में कुरीति नहीं बल्कि मर्दो को दी जाने वाली सजा है। हम शरीयत में हलाला का पूरा समर्थन करते हैं। क्योंकि यदि पति तलाक दे देता है और उसके बाद समझौता होता है तो साथ रहने के लिए हलाला जरूरी होता है। इसके लिए महिला की सहमति जरूरी होती है। हलाला औरतों के हक में सबसे बड़ी हमदर्दी है। कुछ महिलाओं ने हदीस और कुरान को बिना समझे हलाला को सामाजिक कुरीति बताया है।