RANCHI: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में इलाज के लिए मरीज आते हैं, जहां सबसे पहले मरीज इमरजेंसी में ही पहुंचते हैं। वहां से प्राइमरी ट्रीटमेंट के बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। लेकिन इमरजेंसी के बाहर का नजारा कुछ दिनों से बदला-बदला है। जहां न तो ट्राली पर मैट्रेस है और न ही साफ बेडशीट। ऐसे में मरीजों को इमरजेंसी तक ले जाने में उनका दर्द और बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं, गंदी बेडशीट से उन्हें इंफेक्शन होने का भी डर सता रहा है। इसके बावजूद न तो हॉस्पिटल प्रबंधन को इसकी चिंता है और न ही सुपरवाइजर को।

इमरजेंसी में डेली 400 मरीज

गंभीर हालत में इलाज के लिए हर दिन इमरजेंसी में 400 से अधिक मरीज आते हैं। इसमें एक्सीडेंट में घायलों के अलावा कई बीमारियों से ग्रसित मरीज भी शामिल होते हैं, जिससे कि ट्राली भी गंदी हो जाती है। वहीं बेडशीट पर भी खून लग जाता है। यह देखते हुए डिस्पोजेबल बेडशीट देने की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत हर मरीज को शिफ्ट करने के बाद डिस्पोजेबल बेडशीट को डस्टबिन में ही डाल दिया जाता था। लेकिन आज स्थिति यह है कि डिस्पोजेबल बेडशीट ही उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।

इमरजेंसी वार्ड में भी व्यवस्था लागू नहीं

इमरजेंसी ट्राली पर डिस्पोजेबल बेडशीट देने के बाद प्रबंधन की इमरजेंसी वार्ड में भी यही व्यवस्था शुरू करने की योजना थी। ताकि एक के बाद एक आने वाले मरीजों को किसी तरह का इंफेक्शन न हो। वहीं बेडशीट चेंज करने और फिर धुलाई करने का टेंशन भी न रहे। लेकिन यह व्यवस्था आजतक लागू नहीं हो पाई। अब एक ही बेडशीट पर कई मरीजों का इलाज हो रहा है।

वीआईपी मूवमेंट पर बदल जाती है व्यवस्था

हॉस्पिटल में वीआईपी मूवमेंट के समय पूरी व्यवस्था ही बदल जाती है, जहां हर ट्राली पर मैट्रेस होता है। वहीं उसपर चकाचक चादर भी बिछी होती है। मरीज को इमरजेंसी में शिफ्ट करते ही तत्काल उसे बदल भी दिया जाता है। लेकिन कुछ दिनों से मरीजों को ऐसे ही ट्राली पर ले जाया जा रहा है। इससे यह साफ है कि मरीजों की परेशानी से प्रबंधन को कोई लेना-देना नहीं है।

हमलोगों ने नई ट्राली के साथ डिस्पोजेबल बेडशीट के लिए भी ऑर्डर दिया है। 2-3 तीन में हमारे पास सारी चीजें अवेलेबल होंगी। इसके बाद सारी चीजें पहले की तरह व्यवस्थित हो जाएंगी। तबतक ट्रालीमैन को बिना कपड़े वाली चादर के मरीजों को सर्विस नहीं देने को कहा गया है।

डॉ.संजय कुमार, डीएस, रिम्स