-मौरंग लदे ट्रकों से हर महीने पुलिस और आरटीओ मिलकर करते हैं कई अरब की वसूली, आई नेक्स्ट की पड़ताल के दौरान खुद ट्रक ओनर्स ने खोला वसूली की इकोनॉमी का राज

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सजेती एसओ और उनकी टीम की वसूली को संडे के दिन 'एक नंबर भरोसे का' ने सभी के सामने उजागर कर दिया। एसओ के खिलाफ मामला भी दर्ज हो गया, लेकिन मौरंग लदे ट्रकों से वसूली का 'खेल' यहीं नहीं खत्म होता। इस 'खेल' के पीछे काम करता है एक बड़ा नेटवर्क। इसमें कई सरकारी डिपार्टमेंट के लोग शामिल हैं। हमीरपुर की मौरंग खदानों से शुरू होकर ये 'खेल' कानपुर तक पूरे रास्ते चलता है। ट्रांसपोर्टर तो चाहते हैं कि ये वसूली बंद हो, जिससे बाजार में बिकने वाली मौरंग के दाम भी कम होंगे, लेकिन उनकी मजबूरी है। जितना टैक्स सरकार को ट्रक ओनर्स देते हैं उससे दस गुना 'गुंडा टैक्स' देना पड़ता है। इस वसूली की इकोनॉमी कई अरब की है।

2 हजार ट्रकों से 14 अरब की वसूली

आई नेक्स्ट ने इस वसूली के पीछे के कारणों को जानने के लिए पड़ताल की तो मालूम चला कि वसूली की कमाई की इकोनॉमी अरबों की है। पड़ताल के दौरान आई नेक्स्ट रिपोर्टर को ट्रक ओनर्स ने नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बताया कि हमीरपुर से कानपुर नगर तक एक ट्रक में मौरंग लाने पर सरकार की ओर से 6250 रुपए तिमाही टैक्स निर्धारित किया गया है, लेकिन अगर गुंडा टैक्स की बात करें तो एक ट्रक का एक महीने में करीब 35,000 रुपए आरटीओ डिपार्टमेंट का और 20,000 रुपए पुलिस का देना पड़ता है। अगर ये गुंडा टैक्स नहीं दिया तो फिर ट्रक चलाना नामुमकिन है। सिर्फ हमीरपुर रूट पर एक हजार से ज्यादा ट्रक चलते हैं। अगर भोगनीपुर रूट भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो इनकी संख्या 2 हजार के आसपास पहुंच जाएगी। सिर्फ हमीरपुर रूट पर महीने में 1,000 ट्रकों से 7 अरब की वसूली होती है। जबकि अगर भोगनीपुर को भी जोड़ लिया जाए तो ये वसूली हर महीने 14 अरब पहुंचती है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि ट्रांसपोर्टर्स का कहना है।

तो बहुत महंगी पड़ेगी मौरंग

उत्तर प्रदेश मौरंग-गिट्टी ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीप अवस्थी ने बताया कि सरकार के नियम ही ऐसे हैं ट्रक ऑपरेटर्स को मानक से ज्यादा माल लादना पड़ता है। उनके मुताबिक मानकों के मुताबिक एक ट्रक में करीब 9 टन माल लाद सकते हैं, लेकिन 9 टन मौरंग अगर एक ट्रक में एक बार में लाएंगे तो इतनी महंगी पड़ेगी कि लोगों को खरीदने में लाले पड़ जाएंगे, क्योंकि करीब 22,000 तो खर्च है मौरंग लाने में। इतना ही नहीं मानक से बहुत ज्यादा मौरंग खदान में जबरदस्ती लदवाई जाती है। वहां प्रदेश के बड़े-बड़े दबंग ट्रकों में मौरंग लोड करते हैं। ऐसे में ट्रक ओनर्स उनकी बात टाल नहीं पाते हैं और जब ओवरलोड हो जाता है तो फिर आरटीओ और पुलिस को गुंडा टैक्स देना ही पड़ता है। उनके मुताबिक जो ट्रक ओनर्स ये टैक्स नहीं देते हैं वो रूट पर अपनी गाड़ी नहीं चला सकते हैं।

डायरी में होता है पूरा रिकॉर्ड

अपनी पड़ताल के दौरान आई नेक्स्ट को मालूम चला कि हमीरपुर से घाटमपुर और फिर सचेती, इन तीन जगहों पर ट्रक ओनर्स से खुलेआम वसूली होती है। भोगनीपुर की बात करें तो वहां सबसे ज्यादा वसूली कालपी थाने में होती है। इन प्वाइंट्स पर पुलिस के सिपाही हर जगह पर मुस्तैद रहते हैं। उनके पास एक डायरी होती है उसमें हर ट्रांसपोर्टर्स के ट्रकों की संख्या और उनके नंबर्स लिखे होते हैं। जब जिसके एकाउंट में पैसे जमा होता है। उसी वक्त उसकी एंट्री और साइन होते हैं। जब जिसका टाइम होता है वो अपनी एंट्री करवा लेता है। कुछ ऐसा ही आरटीओ डिपार्टमेंट का वसूली का सिस्टम रहता है। उत्तर प्रदेश मौरंग-गिट्टी ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीप अवस्थी भी मानते हैं कि बिना गुंडा टैक्स के ट्रक चलाना नामुमकिन है। उनके मुताबिक वो इस वसूली की शिकायत उच्च अधिकारियों से ही नहीं बल्कि सीएम तक से कर चुके हैं। लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। वसूली से तंग आकर कई ट्रक ओनर्स सुसाइड तक कर चुके हैं।

ट्रकों से खुलेआम वसूली होती है। भोगनीपुर रूट हो या हमीरपुर रूट हर रूट पर एक ट्रक मालिक को हर महीने 50 से 55 हजार रुपए गुंडा टैक्स देना पड़ता है। इस टैक्स से तंग आकर कई ट्रांसपोर्टर्स आत्महत्या तक कर चुके हैं। एसोसिएशन का अध्यक्ष होने के नाते मैंने सचिवालय से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक इस वसूली की शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

दीप अवस्थी, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश मौरंग-गिट्टी ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन