GORAKHPUR: गोरखनाथ मंदिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ की 50वीं पुण्यतिथि एवं ब्रह्मलीन महन्त अवैद्यनाथ की 5वीं पुण्यतिथि समारोह के अन्तर्गत 'सामाजिक समरसता एवं सन्त समाज' संगोष्ठी में मुख्य वक्ता पूर्व सांसद बासव राज पाटिल ने कहा कि जो सकल जीवात्मा को प्यार दे, सभी जीवों को सम्मान दें वहीं सन्त है। जाति-पाति से ऊपर उठकर सभी मानव को समानता का भाव दें वहीं सन्त है। जो विपरीत परिस्थितियों में भी सामाजिक भावना को न छोड़े वहीं सन्त है। भारत में सामाजिक समरसता यदि कायम है तो इसका सम्पूर्ण श्रेय सन्त समाज को जाता है।

संत महात्मा एवं धर्माचार्य ने छेड़ा अभियान

मुख्य अतिथि जूनागढ़, गुजरात से पधारे महन्त शेरनाथ ने कहा कि दुनिया की श्रेष्ठतम हिन्दू संस्कृति, श्रेष्ठतम हिन्दू जीवन पद्धति एवं श्रेष्ठतम् सामाजिक व्यवस्था में जाति के आधार पर ऊंच-नीच की भावना और छुआछूत एक कोढ़ है। धार्मिक संकीर्णता भी हमारे समाज को रूढि़गत बनाता है। देश के सन्त-महात्मा एवं धर्माचार्य तो स्वतंत्रता के बाद से ही सामाजिक समरसता का अभियान छेड़ दिया। ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ एवं ब्रह्मलीन महन्त अवैद्यनाथ ने तो इस विषय पर व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। उन्होनें कहा कि हम 'वसुधैव कुटुम्बकम' के वाहक हैं। हिन्दू संस्कृति तो कण-कण में भगवान का दर्शन कराती है।

छूआछूत मिटाओ और देश बचाओ

दिगम्बर अखाड़ा, अयोध्या के महन्त सुरेशदास ने कहा कि छुआछूत मिटाओ और देश बचाओ का मंत्र फूंकना होगा। सामाजिक समरसता को व्यवस्था परिवर्तन का हिस्सा बनाना होगा। सनातन धर्म ने कभी भी सामाजिक विषमता को स्थान नही दिया।

अपने व्यवहार से करना होगा सिद्ध

अध्यक्षता कर रहे महाराणा प्रताप शिक्षा

परिषद् के अध्यक्ष पूर्व कुलपति प्रो। यूपी सिंह ने कहा कि हिन्दू समाज को अपने व्यवहार से यह सिद्ध करना होगा कि हम दुनिया के श्रेष्ठतम समाज की पुर्नस्थापना में सक्षम है। दुनिया में भौतिकता और आतंक से कराह रही मानवता भारत की ओर अपेक्षा भरी नजरों से देख रही है। सत्य सनातन हिन्दू संस्कृति के शाश्वत मूल्यों की पुनप्रतिष्ठा से ही मानवता की रक्षा सम्भव है। अत: हिन्दू समाज अपने समाज की विकृतियों को दूर करें और राजनीतिक षड्यंत्रों को समझें। हिन्दू समाज को यदि जीवित रहना है तो छुआछूत को समाप्त करना ही होगा। विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, प्रयागराज के अध्यक्ष प्रो। ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय एकता-अखंडता और आधुनिकता भारत के निर्माण के लिए आवश्यक है। गुरु गोरक्षनाथ ने छुआछूत के खिलाफ हजारो वर्ष पहले सामाजिक क्रान्ति का उद्घोष किया था।

मौजूद रहे प्रिंसिपल

समारोह का शुभारम्भ दोनों ब्रह्मलीन को पुष्पांजलि, वैदिक मंगलाचरण एवं गोरक्षाष्टक पाठ के साथ हुआ। महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज, रामदत्तपुर की प्राचार्या डॉ। सरिता सिंह, महाराणा प्रताप कन्या इंटर कॉलेज, रामदत्तपुर की प्रिंसिपल वन्दना त्रिपाठी एवं महाराणा प्रताप कृषक इंटर कॉलेज, जंगल धूसड़ प्रिंसिपल संदीप कुमार एवं अन्य टीचर्स मौजूद रहे।