क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों पर अगर गौर करें तो भारत पिछले साल इस मामले में 94वें स्थान पर था. वहीं अब वह 49वें स्थान पर पहुंच गया है.यही नहीं, विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनता का नेताओं पर भरोसा भी बढ़ने लगा है. डब्ल्यूईएफ ने रिपोर्ट में रायशुमारी कराई थी कि सरकारी अधिकारी नीतियों और अनुबंध पर फैसला करते वक्त कंपनियों और शख्सियतों को किस स्तर तक फायदा पहुंचाते हैं।

क्या कहती है ग्लोबल कंपटीटिवनेस रिपोर्ट
अगर 144 देशों में कामकाजी माहौल को खंगालने वाली ग्लोबल कंपटीटिवनेस रिपोर्ट (2014-15) पर नजर डालें तो सरकारी धन के दुरुपयोग और सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार को कम करने को लेकर भारत ने कई प्रभावी कदम उठाए हैं. इससे कई तरह का सकारात्मक बदलाव देखने में आया है.

कुछ ऐसी दी गई रैंकिंग
रैंकिंग के लिए इसे एक से सात तक अंक दिए गए. एक अंक का मतलब पक्षपात चरम पर था और सात का मतलब पक्षपात न्यूनतम स्तर पर था. पिछले साल 2.79 की तुलना में भारत को इस साल 3.4 अंक मिले. वहीं शिखर पर बैठे कतर को 5.6 अंक मिले.कतर 144 देशों की सूची में सिंगापुर को पछाड़कर पहले स्थान पर पहुंचा.

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