JAMSHEDPUR: डिमना लेक में मंगलवार को पिकनिक मनाने गये आठ दोस्तों में दो की डूबने से मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब सभी दोस्त लेक में नहा रहे थे। अचानक से जुल्फेकार(40) डैम में डूबने लगे जिसे देखकर शमीमुल(27) उन्हें बचाने गये और वह भी डूब गये। जल्फिकार गोलमुरी के टुइलाडुंगरी का रहने वाला था जबकि शमीमुल हक ओल्ड पुरुलिया के निवासी थे। दोनों के शव मंगलवार रात नौ बजे गोताखोरों की मदद से बरामद किये गए। पुलिस ने दोनों के शव को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के शीतगृह में रखा गया। बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद जुल्फेकार को दफना दिया गया जबकि शमीमुल का अंतिम संस्कार गुरुवार को होगा।

लौटे थे रियाद से

गोलमुरी के टुइलाडुंगरी के लाइन नंबर 28 में ए ब्लाक निवासी स्व। मो। मजहर हुसैन के बेटे जुल्फेकार रियाद से कमा कर तीन महीना पहले जमशेदपुर लौटे थे। उनके दोस्त उनसे पार्टी मांग रहे थे। दोस्तों ने विश्वकर्मा पूजा के दिन डिमना डैम में पार्टी करने का फैसला किया। मंगलवार को जुल्फेकार मानगो आजादनगर के ओल्ड पुरुलिया रोड निवासी शमीमुल हक के साथ अपनी स्विफ्ट डिजायर समेत दो कार से कुल आठ दोस्तों को लेकर डिमना डैम पहुंच गए। सभी दोस्तों ने यहां छक कर खाया पिया और पिकनिक का लुत्फ लिया। दोपहर बाद कुछ दोस्त डैम में नहाने उतर गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दो युवक डूबने लगे तो जुल्फेकार और शमीमुल उन्हें बचाने के लिए उतरे। दोनों युवक तो बच कर निकल आए लेकिन, जुल्फेकार नहाने लगे। तभी वो डगमगाए और गिर गए। फिर संभले। शमीमुल ने जुल्फेकार को वापस आने के लिए आवाज दी लेकिन, वो आगे बढ़ गए। आगे गड्ढा था और जुल्फेकार डूबने लगे। डैम के ऊपर खड़े शमीमुल के दोस्त उन्हें आगे जाने से मना कर रहे थे लेकिन, जुल्फेकार को डूबता देख शमीमुल से नहीं रहा गया। वो आगे बढ़ गए और जुल्फेकार को पकड़ने की कोशिश की। शमीमुल तैरना जानते थे। लेकिन, जुल्फेकार ने शमीमुल को कस कर पकड़ लिया। इस तरह, जुल्फेकार के साथ शमीमुल भी डूब गए।

परिजनों को दी सूचना

हादसा तकरीबन चार बजे हुआ और उनके साथ गए दोस्तों ने इसकी सूचना फौरन पुलिस और जुल्फेकार व शमीमुल के परिजनों को दी। सूचना मिलने के बाद पुलिस और दोनों दोस्तों के परिजन व अन्य साथी डिमना लेक पहुंच गए। स्थानीय गोताखोरों को बुलाया गया। इसी बीच अंधेरा हो जाने की वजह से शव की तलाश में दिक्कत हुई। रात तकरीबन सवा नौ बजे दोनों दोस्तों के शव डैम से निकाले जा सके।

दुबई से आज पहुंचे जुल्फेकार के भाई

जुल्फेकार तीन भाइयों दिलदार हुसैन और गुलजार हुसैन में सबसे छोटे थे। उनके एक भाई दिलदार हुसैन दुबई में जॉब करते हैं। हादसे की जानकारी उन्हें मंगलवार की रात को ही दे दी गई थी। वो बुधवार को अपने भाई की मिट्टी में पहुंच गए।

एशा के बाद सुपुर्द-ए-खाक हुए जुल्फेकार

जुल्फेकार के शव का पोस्टमार्टम बुधवार को डेढ़ बजे के करीब कर दिया गया था। इसके बाद परिजनों ने शव एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ही शीतगृह में रखवा दिया था। शाम चार बजे परिजन शीतगृह से शव निकाल कर टुइलाडुंगरी स्थित घर ले गए और एशा की नमाज के बाद साकची कब्रिस्तान में जुल्फेकार को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

बेहतरीन इंटीरियर डिजाइनर थे शमीमुल

ओल्ड पुरुलिया रोड नंबर एक में करीम सिटी कॉलेज के पास रहने वाले शमीमुल हक बेहतरीन इंटीरियर डिजाइनर थे। साकची में बसंत टाकीज के पास उनकी दुकान है। तीन भाइयों में सबसे छोटे शमीमुल की जुल्फेकार से गहरी दोस्ती थी। शमीमुल के पिता स्व। मुजीबुल टाटा स्टील में नौकरी करते थे।

मिट्टी में नहीं आ सकेंगे शमीमुल हक के भाई

शमीमुल के बड़े भाई मोइनुल हक सऊदी अरब के रियाद में एक कंपनी में टेक्नीशियन हैं। छोटे भाई की मौत की जानकारी मिलने के बाद वो रियाद से जमशेदपुर आ रहे हैं। उन्होंने अपने एक रिश्तेदार फैज को बताया कि वो गुरुवार की रात 11 बजे कोलकाता एयरपोर्ट पर उतरेंगे। फैज उन्हें एयरपोर्ट से लेने जाएंगे। शमीमुल का अंतिम संस्कार गुरुवार की दोपहर को ही हो जाएगा। इसलिए, मोइनुल भाई के जनाजे में शिरकत नहीं कर पाएंगे।

जाकिरनगर में शमीमुल का अंतिम संस्कार आज

शमीमुल हक को गुरुवार को जाकिर नगर कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। उनकी नमाज-ए-जनाजा रोड नंबर सात स्थित गौसिया मस्जिद में होगी। हादसा मंगलवार को हुआ था इसलिए लोगों ने परिजनों को गुरुवार को जल्द अंतिम संस्कार करने की सलाह दी है। इसी वजह से परिजनों ने सऊदी अरब से आ रहे शमीमुल के भाई का इंतजार नहीं करने का फैसला किया है।

दो साल पहले सऊदी गया था जुल्फेकार

जुल्फेकार के घर वालों ने बताया कि वो दो साल पहले सऊदी अरब गए थे। रियाद में एक कंपनी में उन्हें जॉब मिली थी। तीन महीने पहले ही वो लौट कर जमशेदपुर आए थे।

10 हजार गिनने के बाद ही डैम से निकाले शव

डैम में दो दोस्तों के डूबने के बाद जब पुलिस और परिजन डैम पहुंचे तो वहां स्थानीय तीन गोताखोर भी आ गए थे। लेकिन, बिना पैसा तय किए ये लोग शव की तलाश में डैम में नहीं उतरे। जब परिजनों ने रुपये देने की हामी भर ली तो तीनों गोताखोर डैम में उतर गए। डैम में उतरने के बाद भी जब उन्हें जुल्फेकार का शव मिला तो पानी से ही एक गोताखोर ने चिल्ला कर कहा कि पांच हजार गिनो तब लाश निकालेंगे। पांच हजार लेने के बाद शव निकाला। इसी तरह, दूसरे शव को भी निकालने से पहले पांच हजार लिया। गोताखोरों ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनका भी पेट है। पहले से पैसा नहीं लेंगे तो शव निकालने के बाद मांगते नहीं बनेगा। परिजन शव लेकर चले जाएंगे तो पैसे के लिए कैसे दबाव डाल सकेंगे।

दोस्ती में शमीमुल ने कुर्बान की जान

शमीमुल हक और जुल्फेकार में जिगरी दोस्ती थी। शमीमुल ने दोस्ती का हक अदा भी किया। इनके एक दोस्त ने बताया कि दोनों एक दूसरे को बहुत मानते थे। इसीलिए, जब जुल्फेकार डूब रहे थे तो अन्य दोस्तों ने शमीमुल को आगे जाने से मना किया। लेकिन, शमीमुल ने चिल्ला कर कहा कि वो अपने दोस्त को नहीं बचाए ये हो नहीं सकता और उन्होंने दोस्ती में अपनी जान कुर्बान कर दी।

मां के दिल में रह गया बेटे की शादी का अरमान

जुल्फेकार और शमीमुल दोनों की अभी शादी नहीं हुई थी। शमीमुल हक की मौत पर उनकी मां यासमीन बानो का बुरा हाल है। उन्होंने जब से बेटे के बारे में सुना है जारो कतार रो रही हैं। कुछ खाया पिया भी नहीं। रिश्तेदार बताते हैं कि मां को बेटे का सेहरा देखने का बड़ा अरमान था। लेकिन, ये अरमान पूरा नहीं हो सका।