-तेजी से बढ़ रहे डेंगू के मरीज, घर में जमा पानी कर सकता है बेमानी

-बी एलर्ट, दो और आए डेंगू की चपेट में, अब तक 12 मामलों में हुई पुष्टि

ALLAHABAD: धीरे-धीरे डेंगू अपने भयानक रूप को अख्तियार कर रहा है। गुरुवार को दो और नए मरीज सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के कान खड़े हो गए। दोनों का इलाज नाजरेथ हॉस्पिटल में जारी है। इस तरह से जिले में अब तक कुल एक दर्जन मरीज सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग ने स्कूलों, कार्यालयों और घरों में कूलर में जमा पानी हटाने की अपील की है।

मां-बेटे दोनों भर्ती

गुरुवार को नए आए दोनों मरीजों में हंडिया का पिंटू सोनी शामिल है जो हाल ही में सूरत गुजरात से लौटा है। बुधवार को पिंटू की मां दुर्गादेवी की जांच भी पॉजिटिव आई थी। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, मां-बेटे दोनो का इलाज नाजरेथ हॉस्पिटल में चल रहा है। दूसरी मरीज जौनपुर मछली शहर की रोशनी बिंद है। ये भी नाजरेथ में भर्ती हैं। सीएमओ डॉ। पदमाकर सिंह ने बताया कि जांच के लिए कुल पांच सैंपल भेजे गए थे जिनमें से दो पॉजिटिव आए हैं। टीम को नाजरेथ हॉस्पिटल रवाना किया गया है।

हटा दीजिए कूलर का पानी

डेंगू के बढ़ते मरीजों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से होशियार रहने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि लोगों को अपने घर, कार्यालय और स्कूलों मे लगे कूलर हटवा देने चाहिए। कूलर में जमा पानी भी निकाल देना चाहिए। इसी तरह गमले, प्लास्टिक के डिब्बों व गमलों में जमा पुराना पानी भी हटा देना चाहिए। डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर ठहरे हुए साफ पानी मे अंडे देता है। यह मच्छर अधिकतर दिन के समय काटता है।

डेंगू के लक्षण

डेंगू के शुरुआती लक्षणों में रोगी को तेज ठंड लगती है, सिरदर्द, कमरदर्द और आंखों में तेज दर्द हो सकता है। इसके साथ ही उसे लगातार तेज बुखार रहता है। इसके अलावा, जोड़ों में दर्द, बेचैनी, उल्टियां, लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

उपचार

चूंकि डेंगू वायरस के कारण होता है इसलिए इसका उपचार किसी एक तरह से संभव नहीं है। डेंगू का उपचार इसके लक्षणों में होने वाले आराम को देखते हुए किया जाता है। ऐसे में जरूरी है कि इन लक्षणों को पहचानकर व्यक्ति बिना देरी के डॉक्टर से मिले। इस दौरान अधिक से अधिक पानी व पेय पद्धार्थ लेना चाहिए और आराम करना जरूरी है। डेंगू के उपचार में अगर अधिक देरी हो जाए तो यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ) का रूप ले लेता है और अधिक भयावह हो सकता है। डीएचएफ की आशंका दस साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा होती है जिसमें उन्हें तेज पेट दर्द, ब्लीडिंग और शॉक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।