नई दिल्ली (एएनआई)। महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण मुद्दा उठा है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मुद्दे को लेकरर मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। पिछले महीने उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा (एसईबीसी) घोषित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया ताकि वे शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में कम से कम 12 से 13 प्रतिशत आरक्षण का दावा कर सकें। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने लिखा था सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा 5 मई, 2021 को दिए गए फैसले ने मुझे यह अवसर दिया है कि मैं आपको इस आरक्षण देने के लिए लिखूं । मेरे राज्य में मराठा समुदाय, कानून के अनुसार, शिक्षा में न्यूनतम 12 प्रतिशत और सार्वजनिक रोजगार में 13 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए जल्द से जल्द उचित कदम उठाए जाएं।

मराठा आरक्षण की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जाएगी

इसके अलावा, शिवसेना के मुखपत्र सामना ने 31 मई को अपने संपादकीय में कहा था कि मराठा आरक्षण की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जाएगी। संपादकीय में कहा गया है कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर दिल्ली का दरवाजा खटखटाना जरूरी हो गया है। इसमें कहा गया, टकराव निर्णायक साबित होगा। महाराष्ट्र की राजनीति को अस्थिर करने के लिए विपक्ष मराठा आरक्षण के मुद्दे को हथियार की तरह इस्तेमाल करेगा, फिर उन्हें इसे समय रहते रोकना होगा। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए संपादकीय में कहा गया है कि आरक्षण को लेकर ऐसा कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है।

आरक्षण को यह कहते हुए रद कर दिया था

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 5 मई को महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2018 में लाए गए मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को यह कहते हुए रद कर दिया था कि यह पहले लगाए गए 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक है। जस्टिस अशोक भूषण, एल नागेश्वर राव, एस अब्दुल नजीर, हेमंत गुप्ता और रवींद्र भट पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मराठा समुदाय के लोगों को शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े समुदाय वर्ग के रूप में घोषित नहीं किया जा सकता है।

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