यह भी जानें

-535 कॉलेजेज है आरयू से सबंद्ध हैं टोटल

-29 कॉलेजेज हैं एडेड

-26 कॉलेज है आरयू के सरकारी

-480 कॉलेजेज हैं आरयू से संबद्ध सेल्फ फाइनेंस

-2 मंडल में हैं आरयू के कॉलेज

-9 डिस्ट्रिक्ट में आते हैं आरयू के कॉलेज

3 साल पहले यूजीसी ने सभी यूनीवर्सिटी और डिग्री कॉलेजज में सीबीसीएस लागू करने का दिया था आदेश

-आरयू प्रशासन का कहना- एमबीए और होटल मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स सीबीसीएस का ले रहे फायदा

-जबकि ज्यादार स्टूडेंट्स को नहीं सीबीसीएस की जानकारी, कई टीचर्स बोले- स्टूडेंट्स को नहीं है इंटरेस्ट

बरेली: आरयू और उससे संबद्ध कॉलेज में सीबीसीएस यानि च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू नहीं हो पा रहा है। जबकि सीबीसीएस के तहत स्टूडेंट्स को एजुकेशन मिले, इसके लिए यूजीसी ने करीब तीन साल पहले आदेश जारी किया था। लेकिन आरयू प्रशासन की अनदेखी से किसी भी एडेड कॉलेज में सीबीसीएस लागू ही नहीं किया गया, जिससे इसके बारे में किसी भी स्टूडेंट को कोई जानकारी नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रिपोर्टर ने कुछ स्टूडेंट्स से बात कर उनको सीबीसीएस से होने वाले फायदे के बारे में बताया तो उन्होंने कहना था। इसके बारे में तो हमारे टीचर्स को भी नहीं पता होगा तो वे हमें क्या बताएंगे।

सभी कोर्सेस में करना था लागू

आरयू और उससे संबद्ध कॉलेजज के सभी कोर्सेस में सीबीसीएस लागू कराना था। आरयू प्रशासन का कहना है कि होटल मैनेजमेंट और एमबीए में डिपार्टमेंट में स्टूडेंट्स को सीबीसीएस के तहत स्टूडेंट्स को एजुकेशन मिल रही है और बाकी कोर्सेस के लिए तैयारी की जा रही है।

बच्चों में नहीं है इंटरेस्ट

जब टीचर्स से स्टूडेंट्स को सीबीसीएस के तहत एजुकेशन ने देने के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि हम तो कॉलेज में स्टूडेंट्स को जानकारी देते हैं, लेकिन इसके बाद भी स्टूडेंट्स इंटरेस्ट नहीं दिखाते हैं।

यह था मकसद

सीबीसीएस का स्टूडेंट्स को लाभ देने के पीछे यूजीसी का मेन मकसद था कि वह अपने सब्जेक्ट के साथ दूसरे सब्जेक्ट की भी जानकारी ले सकें। इसके लिए महाविद्यालयों को संचालित विभिन्न कोर्सेस के पाठयक्रम को घंटे के हिसाब से बांटकर पढ़ाना था। साथ ही अगर कोई साइंस या कॉमर्स का स्टूडेंट आर्ट का कोई सब्जेक्ट पढ़ना चाहता है तो वह अधिकार के साथ पढ़ सके।

12-15 घंटे मिलता टाइम

सीबीसीएस के तहत एक क्रेडिट लेने के लिए स्टूडेंट्स को 12 से 15 घंटे का समय मिलता है। एक क्वेश्चन पेपर चार क्रेडिट का होता है। अगर एक सेमेस्टर में छह पेपर हैं तो उसके लिए कम से कम 60-90 घंटे तक पढ़ाई करना जरूरी है।

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जिम्मेदारों की बात

सीबीसीएस के तहत जो भी स्टूडेंट्स आवेदन करता है, उसको मौका दिया जाता है। इसके लिए स्टूडेंट्स को जानकारी भी दी जाती है, लेकिन स्टूडेंट्स कम आवेदन करते हैं।

प्रो। अनिल शुक्ल, वीसी आरयू

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सीबीसीएस के तहत एमबीए और होटल मैनेजमेंट कोर्सेस में पढ़ाई कराई जा रही है। तीन बैच भी निकल चुके हैं। बाकी कोर्सेस में भी प्रयास चल रहे हैं।

-प्रो। बीआर कुकरेती, आरयू चीफ प्रॉक्टर

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-स्टूडेंट्स को सीबीसीएस की जानकारी दी गई है। उनको बताया है कि कोई भी स्टूडेंट्स किसी दूसरे कोर्स के सब्जेक्ट की क्लास अटैंड कर सकता है।

डॉ। अजय शर्मा, प्राचार्य बरेली कॉलेज

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-बरेली कॉलेज में सीबीसीएस के तहत कोई भी स्टूडेंट्स सामने नहीं आता है। स्टूडेंट्स को इसके बारे में जानकारी भी दी जाती है, लेकिन वे अपने कोर्स में ही बिजी रहते हैं।

डॉ। वंदना शर्मा, चीफ प्रॉक्टर, बरेली कॉलेज

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-छात्राओं को सीबीसीएस के बारे में जानकारी तो दी जाती है। लेकिन इसके बाद भी कोई छात्रा आवेदन नहीं करती है। छात्रा चाहेंगी तभी कुछ किया जा सकता है।

डॉ। बीना पाण्डेय, प्राचार्या वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी महिला महाविद्यालय

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-अभी तो किसी छात्रा ने दूसरे कोर्स के सब्जेक्ट के लिए आवेदन नहीं किया है। क्योकि इसके लिए छात्राओं को कई बार जानकारी दी गई, लेकिन किसी ने रुचि नहीं दिखाई।

डॉ। राकेश अरोरा, प्राचार्या, साहूराम स्वरूप महिला महाविद्यालय

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- अभी इस तरह से कोई भी छात्रा सामने नहीं आई है। जो अपने कोर्स के साथ दूसरे सब्जेक्ट की भी पढ़ना चाहती हो। अगर कोई छात्रा सामने आती है तो उसको सुविधा दी जाएगी।

डॉ। सुनीता जोशी, प्राचार्या भूड कन्या महिला महाविद्यालय

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स्टूडेंट्स बोले जानकारी ही नहीं

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-मैं तो कॉलेज डेली जाता हूं, लेकिन कॉलेज में स्टूडेंट्स को कोई ऐसी जानकारी नहीं दी जाती है कि वह अपने कोर्सेस के साथ दूसरे सब्जेक्ट की भी स्टडी कर सकता है।

नाजिम, स्टूडेंट्स

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-कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि वह स्टूडेंट्स को सीबीसीएस की जानकारी पूरी दे। तभी कोई स्टूडेंट्स दूसरे सब्जेक्ट की जानकारी ले सकेगा। लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं दी जाती है।

अंकित, स्टूडेंट्स

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-सीबीसीएस की सही तौर पर कॉलेजेज में ही जानकारी नहीं है। तो टीचर्स स्टूडेंट्स को जानकारी कहां से देंगे। क्योंकि इसके लिए कोई प्रचार प्रसार नहीं होने से जानकारी का अभाव है।

अर्पित, स्टूडेंट्स

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-दूसरे सब्जेक्ट के बारे में कुछ न कुछ सब्जेक्ट पढ़ने का तो हर स्टूडेंट्स का करता है। लेकिन इसकी पूरी जानकारी कोई देता हो तब। ऐसे में सबसे पहले स्टूडेंट्स को अवेयर किया जाए।

अमित, स्टूडेंट्स