यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के नाम जारी किया डायरेक्शन

छात्रों का एक धड़ा शुरू से कर रहा है विरोध

ALLAHABAD: च्वाइस्ड बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) को लेकर जहां देशभर में छात्र एवं छात्र संगठनों का एक धड़ा विरोध कर रहा है। वहीं यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) सीबीसीएस को लेकर उत्साहित नजर आ रहा है। यूजीसी ने देशभर के विश्वविद्यालयों के नाम जारी संदेश में कहा है कि इसे अनिवार्य रुप से लागू किया जाएगा। इसके साथ ही यूजीसी ने इसे अपनाने वाले सभी विश्वविद्यालयों का डाटा बैंक तैयार करने की भी बात कही है।

2014 से ही लागू करना था

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के सेक्रेटरी प्रोफेसर जसपाल एस सन्धु की ओर से इस आशय का पत्र जारी किया गया है। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों एवं उनसे जुड़े कॉलेजेस से सीबीसीएस को एडाप्ट करने की बात कही है। यूजीसी ने कहा है कि सीबीसीएस का ड्राफ्ट तैयार कर 12 नवम्बर 2014 को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था। इसके बाद 108 प्रकार के अंडर ग्रेजुएट कोर्सेस में इसे लागू किया जा चुका है। कुछ यूनिवर्सिटीज ने इसे सभी लेवल पर लागू किया है। लेकिन ज्यादातर यूनिवर्सिटीज ऐसी हैं, जिन्होंने इसे अभी कुछ ही कोर्सेस में एडाप्ट किया है।

सभी के लिए बताया अनिवार्य

यूजीसी ने यूजी, पीजी समेत सभी कोर्सेस में सीबीसीएस को लागू किया जाना अनिवार्य बताया है। कमीशन ने सभी विश्वविद्यालयों से कहा है कि उनके यहां जहां कहीं भी इसे लागू किया गया है। उसका पूरा ब्यौरा मुहैया करायें, जिससे मानव संसाधन विकास मंत्रालय प्राप्त आंकड़े का अवलोकन कर सके। बता दें कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद में सभी प्रकार के पीजी कोर्सेस में सेमेस्टर सिस्टम के तहत सीबीसीएस को फालो किया जा चुका है।

पीजी में किया फालो

एयू में एलएलएम कोर्स में पहली बार सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है। अभी अंडर कोर्सेस में सीबीसीएस लागू नहीं किया जा सका है। यहां यूजी की पढ़ाई वार्षिक आधार पर ही हो रही है। एयू ने इसे न्यू एकेडमिक सेशन से लागू करने की योजना बनाई है। गौरतलब है कि देशभर में छात्र संगठनो का एक धड़ा च्वाईस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम का विरोध कर रहा है। इनका कहना है कि पढ़ाई के इस फार्मूले से उच्च शिक्षा का बड़ा नुकसान होगा और मेधावी छात्र होड़ में पिछड़ जाएंगे। सीबीसीएस के तहत छात्रों के पास आप्शन होता है कि वे सेमेस्टरवाइज पढ़ाई के दौरान बीच में पढ़ाई छोड़कर दूसरी जगह पर जा सकते हैं। इसमें उनकी ट्रेनिंग का भी डिफरेंट तरीका शामिल होता है।