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PATNA : विभिन्न योजनाओं के तहत मिले फंड के खर्च का हिसाब नहीं देने वाले पटना सहित राज्य के 60 कॉलेजों के खिलाफ यूजीसी सख्त हो गया है. कॉलेजों को कड़े लहजे में कहा गया है कि सात दिनों में खर्च का हिसाब दें नहीं तो एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. साथ ही यूजीसी से मिलने वाले ग्रांट को भी बंद कर दिया जाएगा. इसके लिए यूजीसी ने सभी कॉलेजों को पत्र लिखा है. पत्र मिलते ही कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया है. यूजीसी की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2002 से 2017 तक विभिन्न योजनाओं के तहत दिए गए 100 करोड़ रुपए का हिसाब देना है.

..तो दर्ज होगा गबन का केस

दरअसल यह मामला वर्ष 2002 से 2017 तक यूजीसी के विभिन्न योजनाओं के तहत दी गई खर्च की राशि की सूचना नहीं देने का है. यदि हफ्ते भर में इसकी सूचना नहीं दी गई तो इन सभी कॉलेजों और संबंधित यूनिवर्सिटी के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

यूजीसी भी हो गंभीर

पत्र मिलने के बाद पटना यूनिवर्सिटी की प्रो वीसी डॉ डॉली सिन्हा ने यूजीसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट मांगना सही है लेकिन यूजीसी को भी दिए गए डॉक्यूमेंट को संभाल कर रखना चाहिए. क्योंकि यूजीसी को जो डॉक्यूमेंट दिया गया था उसे दोबारा मांगा जा रहा है. उधर, पटना साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ केसी सिन्हा ने भी यह बात दोहराई है कि वर्ष 2017 तक की जानकारी पहले भी दी गई है. लेकिन इसके बारे में यूजीसी के पास ही जानकारी नहीं है.

रिकार्ड रूम का रो रहे रोना

17 साल पुराने लेखा-जोखा का हिसाब देने में सभी कॉलेजों के पसीने छूट रहे हैं. कॉलेजों से जब यूजीसी ने संपर्क किया तो कॉलेजों ने अपने रिकार्ड रूम की बदहाल स्थिति और स्टाफ नहीं होने का रोना रो रहे हैं. वहीं, यूजीसी ने कहा कि यह सब बहाना नहीं चलेगा.

अब कहेंगे एक्सटेंशन दीजिए

15 साल की समयावधि में 100 करोड़ रुपए का हिसाब मात्र सात दिन में देने के बारे में अधिकांश कॉलेजों का कहना है कि यह व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है. पटना साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ केसी सिन्हा ने कहा कि इस मामले में हमलोग सक्रिय हैं. लेकिन यूजीसी को हर प्रकार के डाक्यूमेंट जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है.