नई दिल्ली (आईएएनएस)। कोरोना वायरस संकट और उसकी वजह से लगे लाॅकडाउन के बीच यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया है। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को सुझाव दिया कि वे अपनी खुद की कार्ययोजना का निर्धारण करें और स्टूडेंट को इस साल के इंटरनल असेसमेंट और पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोट करते हुए ग्रेडिंग दे दी जाए। यूजीसी ने कहा कि जिन राज्यों में कोरोना वायरस की वजह से बिगड़ी स्थिति अब सामान्य हो गई है, वहां जुलाई में परीक्षा होगी।

परीक्षाओं का समय 3 घंटे से 2 घंटे तक किया जा सकता

यूजीसी द्वारा जारी एग्जाम गाइडलाइन, एकेडमिक कैलेंडर से संबंधित मुद्दों और छात्रों के भविष्य के लिए उचित उपाय करने के लिए गठित की गई एक एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है। इस एक्सपर्ट कमेटी की अध्यक्षता प्रोफेसर आरसी कुहाड़, पूर्व सदस्य, यूजीसी और कुलपति, हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ कर रहे हैं। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार, विश्वविद्यालय 3 घंटे से 2 घंटे तक के समय को कम करके परीक्षाओं को संपन्न कराने के कुशल और नए तरीके अपना सकते हैं।

ऑफलाइन या ऑनलाइन मोड में करा सकते हैं एग्जाम

विश्वविद्यालय अपने अध्यादेशों, नियमों और परीक्षाओं की योजना के अनुसार, ऑफलाइन या ऑनलाइन मोड में टर्मिनल या एनुअल एग्जाम करा सकते हैं। हालांकि इस दाैरान साेशल डिस्टेसिंग आदि की सुनिश्चिता करना होगा। यूजीसी ने कहा कि टर्मिनल सेमेस्टर या एुनअल के लिए, परीक्षा जुलाई में आयोजित की जाएगी। पोस्ट ग्रेजुएट व अंडर ग्रेजुएट के लिए टर्मिनल सेमेस्टर या एनुअल की परीक्षा, विश्वविद्यालयों द्वारा अकादमिक कैलेंडर में दिए गए सजेशन के अनुसार आयोजित की जा सकती हैं।

50 प्रतिशत अंक पिछले प्रदर्शन के आधार पर दिए जाएंगे

यूजीसी ने ग्रेडिंग सिस्टम के बारे में विस्तार से बताते हुए यदि कोराना संक्रमण की स्थिति सामान्य नहीं होती है तो छात्रों को इंटरनल और पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोट करते हुए ग्रेडिंग दे दी जाए। इनमें 50 प्रतिशत अंक इंटरनल असेसमेंट और 50 प्रतिशत अंक पिछले प्रदर्शन के आधार पर दिए जाएंगे। हालांकि यूजीसी ने कहा कि यह विकल्प तब अपनाया जाए जबकि कोई अन्य विकल्प न बचे। जिन स्टूडेंट का पिछले सेमेस्टर या पिछले साल के एग्जाम के नंबर अगर नहीं उपलब्ध हैं खासकर पहले सेमेस्टर के एनुअल एग्जाम में तो उनका 100 प्रतिशित मूल्यांकन इंटरनल असेसमेंट के ही आधार पर होगा।

अगले सेमेस्टर के दौरान स्टूडेंट एग्जाम देकर करा सकते सुधार

यूजीसी ने कहा कि जो छात्र अपने ग्रेड में सुधार करना चाहते हैं, वे अगले सेमेस्टर के दौरान ऐसे विषयों के लिए विशेष परीक्षा दे सकते हैं। आयोग ने एम फिल व पीएचडी को छह महीने की अवधि बढ़ाने की भी अनुमति दी है। इसके साथ ही कहा कि इनके प्रैक्टिकल एग्जाम और वाइवा विश्वविद्यालय स्काइप या अन्य मीटिंग ऐप्स के माध्यम से आयोजित कर सकते हैं। यूजीसी ने देशभर के सभी विश्वविद्यालयों से कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए एक कोविड सेल गठित करने का सुझाव दिया है।

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