RANCHI : सीनियर सिटिजंस और एनआरआई के लिए गुड न्यूज है। अब उन्हें झारखंड में जमीन की रजिस्ट्रेशन में 'आधार' देने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। इस बाबत राजस्व, भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग की ओर से एक प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। फिर, पूरे राज्य में सीनियर सिटीजंस व एनआरआई को जमीन रजिस्ट्रेशन में आधार देने की बाध्यता नहीं रहेगी। मालूम हो कि वर्तमान में जमीन के विक्रेता व खरीदार को रजिस्ट्रेशन में आधार को संलग्न करना अनिवार्य है।

ऐसे होगा रजिस्ट्रेशन

आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म होने के बाद एनआरआई को जमीन की रजिस्ट्रेशन कराने के दरम्यान जिस देश में वह रह रहा है, वहां का सर्टिफिकेट देना होगा। वहीं वैसे सीनियर सिटीजंस जिनके पास आधार है, उन्हें जमीन की रजिस्ट्रेशन में अपना मोबाइल नंबर देना होगा। उन्हें एक ओटीपी मिलेगा, जिसके जरिए उनकी जमीन खरीद-बिक्री की राह आसान हो जाएगी।

एनआरआई का नही बन रहा आधार

एनआरआई के आधार कार्ड बनाने में कई तकनीकी अड़चनें हैं। उनका यहां आधार कार्ड नहीं बन सकता है, क्योंकि इसके लिए उन्हें लगातार 182 दिनों तक यहां रहने की अनिवार्यता है। ऐसे में चाहकर भी वे यहां जमीन की खरीद-बिक्री नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि इसके लिए 'आधार' हर हाल में अनिवार्य है। ऐसे में विदेशों में रह रहे एनआरआई न तो अपनी जमीन बेच पा रहे हैं और न ही नई जमीन खरीद पा रहे हैं। उन्हें जमीन की खरीद-बिक्री में सहूलियत देने के लिए ही सरकार यह कदम उठा रही है।

बुजुर्गो का यूआईडी रिकोग्नाइज नहीं

ऐसे कई सीनियर सिटीजंस हैं, जिनका आधार तो है, लेकिन वह न तो आई स्कैन हो पाता है और न ही रिकोग्नाइज। यूआईडी और जमीन रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज में उनके अंगूठे का निशान का मिलान नहीं हो पाता है, जिस कारण परेशानी होती है। यही वजह है कि राज्य में कई सीनियर सिटीजंस न तो अपनी फ्लैट या प्लॉट बेच पा रहे हैं और न ही नई प्रॉपर्टी परचेज कर सक रहे हैं। ऐसे में इन सीनियर सिटीजंस को जमीन के रजिस्टेशन मे आधार की अनिवार्यता से छूट दी जाएगी।