अरबों साल लग जाएंगे आधार हैक करने में, 2048 बिट है आधार इन्क्रिप्शन

नई दिल्ली (प्रेट्र)। आधार की सुरक्षा के बारे में सीईओ पांडेय ने बताया कि यूआईडीएआई के पास एक बार डाटा आ गया तो उसका बाहर आना नामुमकिन है। आधार डाटा की सुरक्षा में 2048 बिट इन्क्रिप्शन इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर साइबर सुरक्षा में 256 बिट इन्क्रिप्शन यूज किया जाता है। ऐसे में आधार डाटा की आठ गुना ज्यादा है, जिसे हैक करने में धरती पर मौजूद अब तक के सबसे तेज तीन कंप्यूटरों को भी अरबों साल लग जाएंगे। यानी वे आज से भी काम पर लगते हैं तो ब्रह्मांड खत्म हो जाएगा लेकिन वे हैक नहीं कर पाएंगे।

किए गए 49,000 ऑपरेटर ब्लैकलिस्ट, भगवान हनुमान के बनाए थे आधार

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अगुवाई में बेंच ने आधार चीफ से सवाल किया कि पंजीकरण करने वाले 49,000 ऑपरेटरों को ब्लैकलिस्ट क्यों कर दिया गया। इस पर सीईओ ने कहा कि इन सब पर भ्रष्टाचार, लापरवाही और आम जनता को परेशान करने के आरोप थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया तो पांडेय ने कहा कि हमने तो इन ऑपरेटरों पर भरोसा किया लेकिन उन्होंने जामुन के पेड़, भगवान हनुमान इत्यादि के आधार बनाने के लिए पंजीकरण कर लिया।

झारखंड में राशन न मिलने पर भूख से मौत, आधार सत्यापन का मामला नहीं

बेंच ने पूछा कि आधार सत्यापन नहीं हो पाने से झारखंड में एक महिला को राशन नहीं मिला और उसकी मौत हो गई। इस पर पांडेय ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है और उस मामले में सत्यापन हुआ था। गलती उचित मूल्य के दुकानदार की थी, उसकी बेईमानी से महिला के कारण महिला को राशन नहीं मिला था। प्राधिकरण ने बॉयोमीट्रिक सत्यापन न हो पाने की दशा में आधार कार्ड देखकर पहचान सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं ताकि किसी को परेशानी न हो। एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने कोर्ट में महिला की मौत को 'आधार सत्यापन फेल' होने का नहीं 'ईमानदारी फेल' होने का मामला बताया।

पंजीकरण के दौरान धर्म, जाति, भाषा, आय इत्यादि नहीं रिकॉर्ड करता आधार

पांडेय ने कहा कि आधार पहचान पूरे देश में मान्य है। इसकी कीमत 1 डॉलर से भी कम है। पंजीकरण के बाद कार्ड लोगों तक डाक से पहुंचा दिया जाता है। अभी तक 1.2 अरब लोग आधार स्कीम के तहत पंजीकरण करवा चुके हैं। प्रतिदिन 15 लाख आधार नंबर जनरेट, प्रिंट और भेजे जाते हैं। आधार पंजीकरण के दौरान न्यूनतम जानकारी ली जाती है। आधार के पास लोगों की तस्वीर, पता, अंगुलियों के निशान, आंखों की पुतलियों की पहचान ही लिए जाते हैं। आधार लोगों के धर्म, जाति, भाषा, वर्ग, पात्रता, आय, मेडिकल हिस्ट्री और व्यवसाय संबंधी विवरण न लेता है और न ही रिकॉर्ड करता है।

'अंधा' है प्राधिकरण, वह नहीं कर सकता आधार कार्ड धारक की जासूसी

आधार की सुरक्षा और विश्वसनीयता के बारे में पांडेय ने कहा कि आधार का बॉयोमीट्रिक डाटा सेंट्रल आईडेंटिटी डाटा रिपोजिटरी में इन्क्रिप्टेड मोड में सुरक्षित रखा जाता है। आधार एक प्रकार से अंधा होता है। उसे इस बात की जासूसी नहीं कर सकता कि आधार कार्ड धारक क्या कर रहा है, किस आधार नंबर से कहां खाता खुला, कौन सा मोबाइल नंबर यूज हो रहा है, आधार नंबर के बेस पर इस प्रकार की प्रोफाइलिंग तैयार नहीं की जा सकती। बैंक खाता खुलवाने या मोबाइल नंबर लेते टाइम बॉयोमीट्रिक सत्यापन के दौरान आधार सिर्फ व्यक्ति की पहचान का मिलान करता है न कि खाता संख्या या मोबाइल नंबर का रिकॉर्ड तैयार करता है। उसे यह सब कुछ नहीं पता होता कि किस आधार नंबर पर कौन सा खाता संख्या या मोबाइल नंबर दिया जा रहा है।

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