लंदन (पीटीआई)। ब्रिटेन के प्रवासी भारतीय समुदाय ने आम चुनाव पीएम बोरिस जॉनसन की जीत का स्वागत किया है। जिसने पहले के मुकाबले इस बार चुनावों में अभूतपूर्व सक्रियता दिखाई। इसका खामियाजा लेबर पार्टी को भुगतना पड़ा जिसके रुख को भारत-विरोधी माना गया।& प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ब्रेग्जिट पर जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए चुनाव में जाने का निर्णय लिया था। प्रवासी नेताओं का मानना है कि यह भारतीय मूल के मतदाताओं के साथ बाकी मतदाताओं को भी आकर्षित करने में सफल रहा। जॉनसन ने चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल की क्योंकि उनकी कंजरवेटिव पार्टी ने संसद में बहुमत के लिए आवश्यक 326 का आंकड़ा पार कर लिया है।
ब्रेग्जिट के बाद की चुनौतियों व अवसरों के लिए तैयारी शुरू
लॉर्ड रामी रेंजर, कंज़र्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ़ इंडिया (CFIN) के सह-अध्यक्ष ने कहा कि 'बोरिस जॉनसन ब्रेग्जिट डिलीवर करेंगे और देश को अगले लेवल पर ले जाएंगे।' उन्होंने आगे कहा कि मतदाताओं ने जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी के विजन के पार देखा जिसने देश को 'दिवालिया' बनाकर छोड़ा होता। ब्रिटेन स्थित मीडिया हाउस इंडिया इंक के सीईओ मनोज लाडवा ने कहा कि 'परिणाम भारतीय व्यवसाय को निश्चिंतता प्रदान करेगा जिसकी उन्हें अपेक्षा थी। उन्हें ब्रेग्जिट के बाद की चुनौतियों व अवसरों के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।'
बोरिस जॉनसन ने किया स्वामीनारायण मंदिर का दौरा
सर्वेक्षण में ब्रिटिश भारतीय मतदाताओं के 18 प्रतिशत किसे वोट देना है इसे लेकर संशय में थे। जिसका लाभ उठाने में टोरीज ने काेई कसर नहीं छोड़ी। बोरिस जॉनसन ने चुनाव से कुछ दिन पहले उत्तर-पश्चिम लंदन के नेसडेन में स्थित स्वामीनारायण मंदिर का दौरा किया और पीएम नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया के विजन में सहयोग का संकल्प लिया। साथ ही नए साल में भारत की एक प्रमुख यात्रा की योजना का भी खुलासा किया।
भारत विरोधी रुख के चलते वोट गंवाकर लेबर पार्टी को चुकानी पड़ी कीमत
लाडवा के मुताबिक 'चुनाव की एक परिभाषित विशेषता प्रवासी भारतीय समुदाय की जेरेमी कॉर्बिन के भारत विरोधी प्रचार के खिलाफ खड़े होने में अभूतपूर्व सक्रियता दिखाना है।' माना जाता है कि भारत विरोधी रुख के चलते लेबर पार्टी को परंपरागत रूप से उसके प्रति वफादार माने जाने वाले भारतीय मूल के मतदाताओं के वोट गंवाकर चुकानी पड़ी।
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