दूर दूर तक नहीं नजर आ रहे नई भर्ती के आसार, जिन्हें मिल चुकी है नौकरी उनकी भी अटकी है सांस

शिक्षामित्रों पर आये फैसले और सीबीआई जांच के निर्णय के बाद मुखर हो रहे कई सवाल

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: योगी आदित्यनाथ की सरकार के अल्प कार्यकाल में अब तक कुछ ऐसे फैसले सामने आये हैं। जिनसे एक ओर जहां पढ़ा लिखा तबका खासा खुश नजर आ रहा है। वहीं वह इस बात को लेकर भी चिंतित है कि क्या योगी सरकार के फैसलों का दंश केवल आम छात्र या बेरोजगार तबका ही भुगतेगा। ऊंची- ऊंची कुर्सी पर बैठकर मलाई काट चुके नेता और अफसरों की बारी कब आएगी। गौरतलब है कि योगी सरकार ने यूपी लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच का फैसला लिया है। इससे भविष्य में भी किसी नई भर्ती प्रक्रिया की उम्मीद नहीं दिख रही है।

बर्खास्त किये गये थे संजय नागा

लोक सेवा आयोग से नौकरी हासिल कर चुके हजारों प्रतियोगियों की सांस भी सीबीआई की आहट से अटक गई है। कुछ ऐसा ही हाल बाकी आयोगों और भर्ती बोर्डों का भी है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से लेकर यूपीएसएसएससी लखनऊ में पूर्ववर्ती सरकार में काबिज रहे अध्यक्ष और सदस्यों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं। क्योंकि यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के सचिव संजय सिंह नागा को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल करने के मामले में बर्खास्त करने में तनिक भी देर नहीं लगाई थी।

कठघरे में मानक तय करने वाले

अब शिक्षामित्रों के मामले में आये सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद यह बात प्रमुखता से उठ रही है कि आखिर नेता और अफसरों के कारनामों का दंश आम लोग ही क्यों भुगतें? वेडनेसडे को यूपी के अलग अलग हिस्सों में बगावती तेवर दिखाने वाले शिक्षामित्र भी यही बात कह रहे हैं।

एग्जाम्पल वन

मल्टी टास्किंग एग्जाम 2016 के लिये करीब 67 लाख आवेदन हुये। इसमें यूपी और बिहार से आवेदन करने वालों की संख्या करीब 20.3 लाख थी। परीक्षा पांच चरणों में 30 अप्रैल, 14 मई, 28 मई, 04 जून एवं 11 जून को होनी थी। दूसरे ही चरण में कई शहरों में पर्चा आउट होने की खबर ने खलबली मचा दी। इसके बाद विगत 23 मई को पूरी परीक्षा रद किये जाने की घोषणा की गई।

एग्जाम्पल टू

यूपी पुलिस के 3307 पदों के लिये दरोगा भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन 17 से 31 जुलाई के बीच होना था। हैकर्स ने परीक्षा कराने वाली एजेंसी की वेबसाइट हैक कर पेपर ही चुरा लिया और सोशल मीडिया पर लीक भी कर दिया। ऐसे में ये परीक्षा भी निरस्त हो गई। इसमें पुरुष अभ्यर्थियों की संख्या 5,42,124 एवं महिला अभ्यर्थियों की संख्या 88,802 थी।

एग्जाम्पल थ्री

सूबे में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की शुरूआत वर्ष 1999 में हुई। 18 साल नौकरी कर चुके शिक्षामित्रों का समायोजन सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया। इससे 1,72,000 शिक्षामित्रों और उनके परिवार को गहरा सदमा लगा है।

शिक्षामित्रों का परिवार एक झटके में सड़क पर है। इसके दोषी सियासत करने वाले हैं। पूर्व की सरकार और अफसरशाही ने शिक्षामित्रों के लिये सभी नियम कानून ताक पर रख दिये। अब भुगतना शिक्षामित्रों को पड़ रहा है।

नितेश राव

पेपर कैंसिल हो या कोई फर्जीवाड़ा नेता और अफसरों को कुछ नहीं होता। हर तरफ से केवल आम तबका ही इफेक्टेड होता है। अब जरूरी ये है कि असली गुनाहगारों को चिन्हित करके उन्हें भी जेल भेजा जाये।

उमेन्द्र सिंह

यूपी के प्रतिभाशाली नौजवानों को पिछली सरकार ने गलत नीतियों तथा राजनीतिक लाभ के लिए बलि का बकरा बनाया और उनकी प्रतिभाओं का गला घोंट दिया। आखिर इसके असली दोषी कब सजा पाएंगे?

अशोक पांडेय

दरोगा भर्ती का पेपर लीक होना तंत्र की विफलता है। सरकार ने इसे स्वीकार भी किया। यह भी अच्छा संकेत है। लेकिन पेपर लीक कांड के वास्तविक गुनहगारों को भी सजा मिले तभी ये काम रुकेंगे।

शिवम अस्थाना

दरोगा भर्ती परीक्षा रद और लोक सेवा आयोग की सीबीआई जांच से प्रतियोगियों में खुशी है। वहीं वे आने वाले समय को लेकर आशंकित हैं। सीबीआई जांच ऐसा विषय है। जिससे सबकुछ ठप पड़ जाना है।

राघवेन्द्र कुमार द्विवेदी

शिक्षामित्र एक अस्थाई योजना थी। पूर्व की राज्य सरकार ने वोट बैंक के लालच में बिना किसी ठोस योजना के इनका समायोजन किया। अब वह सरकार चली गई। लेकिन जिनका वर्तमान दांव पर है वे क्या करें?

सौरभ दुबे