नई दिल्ली, 5 जुलाई (पीटीआई), कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने शुक्रवार को कहा कि 50 करोड़ रुपये से अधिक के सालाना कारोबार वाले व्यवसाय कम लागत वाले डिजिटल भुगतान के तरीके अपना सकते हैं और इसके लिए उन पर या उनके ग्राहकों पर किसी तरह का शुल्क या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) नहीं लगाया जाएगा।

एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर टीडीएस

2019-20 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि व्यापार में नकद लेनदेन में कमी लाने के लिए किसी बैंक खाते से एक वर्ष में एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर स्रोत (टीडीएस) पर कर कटौती की जाएगी।

नहीं लगेगा कोई शुल्क

उन्होंने कहा कि प्रस्ताव है कि 50 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक कारोबार वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठान भुगतान के लिए अपने ग्राहकों को कम लागत वाले डिजिटल तरीके प्रदान करेंगे और कोई शुल्क या एमडीआर ग्राहकों के साथ-साथ व्यापारियों पर भी नहीं लगाया जाएगा।

इस तरह निकलेगी लागत

वित्त मंत्री ने कहा कि सभी बैंक इस पर आने वाली लागत की भरपाई उस बचत से करेंगे जो कम नकदी से निपटने के कारण होगी।

 

आयकर अधिनियम में होगा संशोधन

MDR एक डिजिटल लेनदेन की सुविधा के लिए लगाया गया शुल्क है। वित्त मंत्री ने कहा कि, 'इन प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए आयकर अधिनियम और भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 में आवश्यक संशोधन किए जा रहे हैं।' सीतारमण ने कहा कि भुगतान के कई कम लागत वाले डिजिटल मोड उपलब्ध हैं जैसे BHIM UPI, UPI-QR कोड, आधार पे, कुछ डेबिट कार्ड, NEFT और RTGS जिनका उपयोग कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की पहल

उन्होंने कहा कि सरकार ने डिजिटल भुगतान और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए हाल के दिनों में कई पहल की हैं। 'डिजिटल भुगतान को और अधिक बढ़ावा देने के लिए, मैं कई कदम उठाने का प्रस्ताव रखना चाहती हूं। व्यवसायिक भुगतान में कैश के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने के लिए, मैं एक बैंक खाते से एक वर्ष में 1 करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर 2 प्रतिशत का टीडीएस लगाने का प्रस्ताव कर रही हूं।'

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