नई दिल्ली (आईएएनएस)। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इंडियन टैक्स को इस साल पेश होने वाले बजट में प्रत्यक्ष कर नीति में किसी भी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है।बजट पूर्व यह सर्वेक्षण केपीएमजी का है।सर्वेक्षण में शामिल किए गए टैक्सपेयर में से लगभग 53 प्रतिशत का कहना है कि प्रत्यक्ष करों पर कोई बड़ी घोषणा नहीं होने वाली है। वहीं करीब 27 प्रतिशत टैक्सपेयर का कहना है कि इस बार बड़े बदलाव होंगे। इसके अलावा 20 प्रतिशत टैक्सपेयर किसी बदलाव के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं।

नया और सरल डायरेक्ट कोड तैयार हो रहा

रिपोर्ट में दिखाया गया है कि नया और सरल डायरेक्ट कोड (डीटीसी) तैयार हो रहा है। अधिकांश टैक्सपेयर को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट 2019-20 में प्रत्यक्ष कर नीति में किसी बड़े संशोधन की घोषणा होने की संभावना नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया में यह भी कहा गया है कि मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (न्यूनतम वैकल्पिक कर), डिवीडेंट डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (लाभांश वितरण कर) , सरचार्ज (अधिभार) और सेस (उपकर) जैसे शुल्क भी बदलने की संभावना नहीं है।

कॉरपोरेट कर में कटौती की संभावना नहीं

सर्वे में शामिल अधिकांश कंपनियों को भी सभी फर्मों और एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) के लिए कॉर्पोरेट कर में कमी की उम्मीद नहीं है। अधिकांश करदाताओं को छोटी कंपनियों पर लागू 25 प्रतिशत कॉरपोरेट कर में कटौती की संभावना नहीं है। करदताओं को उम्मीद है कि एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) के लिए कर दर को भी कंपनियों के लिए लागू कर दर के बराबर कर दिया जाएगा।

2.5 लाख रुपये की कर छूट की सीमा में भी वृद्धि

सर्वे में यह भी बताया कि 250 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली 46 प्रतिशत कंपनियों को उम्मीद है कि 25 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स में छूट नहीं मिलेगी। वहीं 39 प्रतिशत को उम्मीद है कि कटाैती हो सकती है।वहीं अधिकांश करदाताओं को यह उम्मीद भी है कि 2.5 लाख रुपये की कर छूट की सीमा में भी वृद्धि होगी। सर्वे में यह भी पता चला है कि अधिकांश करदाताओं को उम्मीद है कि 10 करोड़ रुपये से अधिक की आय वाले सुपर रिच टैक्स पेयर द्वारा दिए जाने वाले 40 प्रतिशत हायर टैक्स में कटाैती होगी।

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