नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारतीय निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले केंद्रीय बजट में ग्रामीण खपत को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और इसके साथ करदाताओं को बड़ी राहत मिल सकती है, जिससे सरकार के प्रतिबंधित राजकोषीय क्षेत्र को बढ़ावा नहीं मिलेगा। ब्रोकरेज का अनुमान है कि सरकार व्यक्तिगत आयकर में किसी भी कटौती की घोषणा करने में सक्षम नहीं हो सकती है, लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनरईजीए), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) जैसे सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों पर इसका ध्यान केंद्रित हो सकता है।

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बजट में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने का हो सकता है जिक्र

एक सेंट्रम रिपोर्ट ने कहा, 'यह बजट भी लगभग पिछले बजट से मिलता जुलता हो सकता है। इसमें सामाजिक क्षेत्र के उपायों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित होने की संभावना हैै। इसके अलावा, इस बजट में गांवों के विद्युतीकरण की दिशा में एक निरंतर कार्य, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की उपलब्धता, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, व्यावसायिक संस्थान बनाना आदि का जिक्र हो सकता हैै।' केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 20 के पहले सात महीनों में ग्रामीण खर्च साल-दर-साल 20.8 प्रतिशत बढ़ाया हैै। इसी तरह ग्रामीण के मुद्दों पर पिछले 11 वर्षों में पहली बार सबसे ज्यादा खर्च किया गया है। इसके अलावा, पिछले वित्त वर्ष में भी ग्रामीण खर्चों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी थी। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकार 3.3 प्रतिशत के फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तैयार है। सरकार ने मंदी से उभरने के लिए कई उपाए किए हैं।