कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का आठवां बजट पेश करेंगी, जिसमें आर्थिक और आर्थिक विकास को गति देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। बजट को लेकर काफी पहले से तैयारियां होने लगती है। इसके बनने से लेकर सुरक्षा तक हर स्तर पर कड़ी पहरेदारी होती है। इसे बनाने की एक अत्यधिक गोपनीय प्रक्रिया है, इतना ही नहीं दस्तावेजों को तैयार करने में शामिल अधिकारियों की भी खुफिया ब्यूरो के कर्मियों और दिल्ली पुलिस द्वारा बजट पेश करने के दिन तक कड़ी निगरानी की जाती है।

अधिकारियों को नहीं होती फोन रखने की अनुमति
बजट-प्रक्रिया में शामिल अधिकारी अपने परिवारों से कटे-कटे रहते हैं, जबकि मंत्रालय खुद सुरक्षाकर्मियों की भारी सुरक्षा करता है। उन्हें बजट पेश होने के बाद ही अपने फोन का उपयोग करने या लोगों से मिलने की अनुमति है। यानी कि बजट में शामिल अधिकारी न अपने घर जा सकते हैं और न ही उन्हें किसी तरह के कम्यूनिकेशन की अनुमति मिलती है। यह सबकुछ बजट को सीक्रेट बनाए रखने के लिए किया जाता है।

क्या कभी कोई बजट लीक हुआ है
वित्तीय वर्ष 1950-51 के बजट के कुछ अंश संसद में पेश होने से पहले लीक हो गए थे। इस घटना के बाद, दस्तावेज की छपाई, जो राष्ट्रपति भवन में होती थी, मिंटो रोड में स्थानांतरित कर दी गई थी। जॉन मथाई उस समय देश के वित्त मंत्री थे जब यह घटना हुई थी। तब से, हालांकि, बजट का एक भी दस्तावेज लीक नहीं हुआ है। अब ये दस्तावेज नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में छपते हैं।

हलवा सेरेमनी से होती है शुरुआत
वित्त मंत्रालय बजट सत्र से पहले महीनों की योजना और तैयारी शुरू करता है। प्रलेखों की छपाई एक प्रथागत 'हलवा समारोह' के साथ प्रस्तुति से लगभग एक सप्ताह पहले शुरू होती है। बजट 1 अप्रैल को प्रभावी होता है, इसके बाद ही इसे लोकसभा द्वारा पारित किया जाता है। इससे पहले, रेल बजट को अलग से पेश किया जाता था, हालांकि 2016 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया था।